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बस अब और परवाह नहीं - मन की बात नेहा के साथ (part-1)

बस अब और परवाह नहीं - मन की बात नेहा के साथ 


ये समाज, समाज के लोग, ओर लोगो के बनाये बहुत से दायरे.......... कभी कभी सही भी है लेकिन, बहुत सी परिस्तिथियों में मन के सपनो को पंख मिलने से पहले दबा देने का कारण भी बनते है...... चुनाव हमे करना होगा - बदलाव समाज में होना चाहिए या हमारे में........। 




पूर्वी ने कमरे का दरवाजा बंद किया और संगीत लगा नृत्य करने लगी । पूर्वी ने classical dance सीखा है । संगीत और नृत्य से बहुत लगाव है पूर्वी को। 


"हे भगवान् ये लड़की जब देखो नाच-गाना ले कर बैठ जाती है !! अभी ही आयी बाहर से और शुरू हो गयी" - पूर्वी की माँ कामिनी ने चिलाते हुए कमरे के बाहर से कहा । 

"उसे कहा कुछ सुनाई देने वाला है संगीत की आवाज में कामिनी, वो तो मगन हो गयी होगी" - पूर्वी के पापा हरीश जी ने बीवी को हस्ते हुए चुप करवाते कहा । 

"इस लड़की की शादी तय हो चुकी है और ये है की नाच-गाने से फुर्सत नहीं इसको !! आखिर कब बड़ी होगी ये लड़की" - माँ कामिनी ने माथे हाथ रखते कहा। 

"करने भी दो उसे अपने मन की, क्या पता ससुराल में उसे ये सब करने मिले भी या नहीं" - हरीश जी ने पत्नी कामिनी को कहा। 


दरअसल पूर्वी की शादी तय हुए अभी कुछ ही दिन हुए है और माँ पूर्वी को ससुराल के तौर तरीके समझाने की कोशिशों में लगी ही रहती है !! एक मौका नहीं छोड़ती कामिनी जी अपनी बेटी को ससुराल की सूझ बुझ उसके दिमाग में समझाने का !!


पर पूर्वी अभी अपनी ही दुनिया में थी !! ज्यादा उम्र भी तो नहीं थी पूर्वी की, उसकी सब सहेलियों में से सबसे पहले पूर्वी की ही शादी तय हुई थी !! पूर्वी अपने माँ पापा के साथ मेरठ के छोटे से कसबे में रहती थी ।  जल्दी अच्छा रिश्ता मिल जाने से माँ पापा ने रिश्ता पक्का कर दिया था पूर्वी का !!


संगीत सुनते ही पूर्वी की एक लगन सी लग जाती थी संगीत से । इसीलिए तो पूर्वी ने माँ-पापा से बहुत विनती करके क्लासिकल डांस सिखने की अनुमति ली थी !! पूर्वी के माँ-पापा को नाच गाना नहीं भाता था पर पूर्वी के बहुत विनती करने पर उन्होंने पूर्वी को नृत्य सिखने की अनुमति दे दी थी !!


"काहे चिल्ला रही थी माँ" - पूर्वी ने दरवाजा खोलते माँ को सुनाने के लिए उच्ची आवाज में कहा। 

"वो इसलिए बेटा, कि तू कुछ काम काज सिख ले, ये नाच गाना ससुराल जा कर काम ना आवेगा !!" - माँ ने पूर्वी को ताना कस्ते हुए कहा। 

"माँ मुझे बहुत अच्छा लगता है नृत्य करना, आप नहीं समझ सकती कि मेरे लिए नृत्य क्या है" - पूर्वी ने सरल शब्दों में माँ को कहा । 

"बेटा तू समझती है न कि ससुराल के कायदे-नियम अलग होते है, तुझे बस इसलिए टोक देती हूँ !! वैसे भी तुझे पता है न कि हमारे समाज में अच्छा न समझते यूँ नाच-गाना करना !!" - माँ ने पूर्वी को समझाते हुए उसके गाल पर थपकी देते कहा । 


आखिर दिन बीतते गए !! शादी का समय पास था अब। अब तक माँ ने पूर्वी को सब काम में निपुण तो कर ही दिया था और पूर्वी से ये वादा भी लिया था कि ससुराल में वो इस तरह नाच गाने का जिक्र भी किसी से नहीं करेगी !! पता नहीं सबको ये बात पसंद न आये शायद, इसलिए माँ ने पूर्वी को ये शोंख यही मायके में दबा जाने को कहा !!


संगीत में जान बस्ती थी पूर्वी की और ऐसा वादा ले कर माँ ने जैसे जान ही मांग ली हो आज !!

पूर्वी कुछ निराश सी थी !!

"बेटा हम लोग साधारण लोग है !! तुझे पता है न कि तेरी शादी एक साधारण से परिवार में तय हुई है।  कितने सरल लोग है, मुझे नहीं लगता उनको तेरा नाच-गाना करना भायेगा !! तुझे आगे चल के तकलीफ न हो बेटा, इसलिए तुझे बस समझा रही थी" - माँ कामिनी ने पूर्वी को समझाते हुए कहा । 


कुछ ही दिनों में पूर्वी की शादी भी हो गयी !! अब पूर्वी अपने ससुराल में थी और परिवार वालो के हिसाब से रहना सिख रही थी !! पूर्वी ने उस घर को दिल से अपनाया था । ससुराल के तौर तरीके सिखने में समय लगा पर पूर्वी ने सब कुछ अपना लिया था !! हर कोई पूर्वी से खुश था । अपने नृत्य के शोंख को तो पूर्वी जुबान पे लाने का सोच भी नहीं सकती थी । अपना शोंख छोड़ बस घर-बार में व्यस्त रहने लगी पूर्वी !!


अब 6 महीने बीत चुके थे पूर्वी की शादी को  !! एक दिन पूर्वी के सास-ससुर, जेठ जी और पति कुछ दिनों के लिए अपने पुस्तैनी घर जा रहे थे, पूर्वी और भाभी (पूर्वी की जेठानी जी) ने सबके लिए रास्ते में खाने के लिए खाना पैक किया और सब निकल गए । अब घर में बस पूर्वी, भाभी और भाभी की प्यारी सी बेटी प्रियंका थी जो 9 साल की है !!


भाभी हर बात में पूर्वी को होंसला देतीं थी, पूरा सहयोग करती थीं। अब जब घर पर कोई नहीं था तो पूर्वी ने सोचा क्यों न आज इतने दिन बाद नृत्य किया जाए !! पूर्वी भाभी और प्रियंका को भी अपने कमरे में ला नृत्य के बारे में अपने शोंख के बारे बताने लगी !! प्रियंका ने तो चाची पूर्वी को नृत्य सिखाने की विनती भी कर डाली !!


भला इतनी छोटी सी प्यारी सी बच्ची की विनती पूर्वी कैसे टाल सकती थी !! पूर्वी रोज़ प्रियंका को नृत्य सिखाती और भाभी दोनों को नृत्य करते देख बहुत खुश होती। भाभी ने भी पूर्वी के नृत्य की खूब तारीफ़ की !!


सबको गए कई दिन बीत चुके थे । आज शाम को सबके आने का समय था !! पूर्वी ने भाभी और प्रियंका को नृत्य वाली बात किसी से न कहने के लिए कहा । 

"अरे पूर्वी तुम क्यों चिंता करती हो, क्या पता तुम्हारे नृत्य से किसी को आपत्ति न हो, तुम सच्च में बहुत अच्छा नृत्य करती हो" - भाभी ने पूर्वी को समझाते हुए कहा। 

"नहीं भाभी अगर किसी को नहीं भाया तो मेरे माँ-पापा भी गुस्सा करेंगे, माँ ने मुझसे वादा लिया है कि मैं अपना ये शोंख बस मन में दबा दू !!" - पूर्वी ने भाभी को निराश होते बताते हुए कहा । 


शाम को सब आ चुके थे, सास किशोरी जी के साथ उनकी ननद (पूर्वी की बुआ-सास) भी कुछ दिनों के लिए अपनी जीजी के साथ आयी थी !! घर में सब पहले जैसे माहौल था, पूर्वी के संगीत की धुन से गूंजता घर, अब फिर से संगीत कही नहीं था !! 


एक दिन छोटी बच्ची प्रियंका ने खुद ही हॉल में संगीत ऑन किया और नृत्य करने लगी कि तभी पूर्वी की सास किशोरी जी ने पोती प्रियंका को नृत्य करते देखा और हैरान हो गयी !!

"इतना सुन्दर नृत्य करे है गुड़िया रानी, बहुत सुन्दर !! आखिर कहा से सीखी मेरी गुड़िया रानी इतना सुन्दर नृत्य" - किशोरी जी ने पोती प्रियंका को दुलार करते हुए बाल सहलाते हुए पूछा !! बुआ-सास भी जीजी की आवाज सुन हॉल में आ खड़ी हो गयी !!


छोटी सी बच्ची प्रियंका समझ नहीं पा रही थी कि वो क्या बोले, शायद इसीलिए बच्चो को मासूम बोला गया है !! आखिर दादी के बार बार पूछने पर प्रियंका ने चाची पूर्वी की ओर इशारा करते बोल ही दिया.....


"चाची सिखाई है अम्मा..... इतना सुन्दर डांस........ डांस नहीं.... चाची बोलती है इसको नृत्य बोलते है" - मासूम प्रियंका ने दबी आवाज में कहा। 


बुआ-सास तो जैसे गुस्से में बस एक टक पूर्वी के आने का इंतज़ार कर रही हो बस !! पूर्वी की सास किशोरी जी ने भी जोर से पूर्वी को आवाज लगाते हुए चिलाते हुए बुलाया !!


पूर्वी ये सब रसोई में खड़ी सुन ही रही थी और ये सब सुन जान सूखे जा रही थी पूर्वी की !! भाभी के भी चेहरे पर पूर्वी के लिए चिंता साफ़ दिख रही थी !! पूर्वी को अफ़सोस हो रहा था कि उसकी मन की बात उसने मन में ही क्यों नहीं दबाई रखी.................




"ओ पूर्वी, आ तो जल्दी, काने सुनाई नहीं दे रहा क्या !!" - सास ने फिर जोर से आवाज लगाते चिलाते हुए पूर्वी को बुलाया !!

पूर्वी डरी सहमी किशोरी जी के सामने खड़ी हो गयी, मुँह से जैसे एक आवाज न निकल पा रही हो !! डर इतना मानो अभी गिर जायेगी पूर्वी !!

घर में अलग ही सन्नाटा सा पसर गया हो जैसे........ !!

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अभी थोड़ा कहानी में इंतज़ार, आगे की कहानी पढ़ने के लिए जुड़े रहे mannkibaatbyneha से......  मिलते है अगले ब्लॉग में आगे की कहानी के साथ....... आपको क्या लगता है कहानी में क्या मोड़ आ सकता है....?? अपनी राये कमेंट सेक्शन में जरूर बताये....... !!


कहानी के दूसरे भाग को पढ़ने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे

बस अब और परवाह नहीं - मन की बात नेहा के साथ (part-2)


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