बस अब और परवाह नहीं - मन की बात नेहा के साथ (part-2)
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बस अब और परवाह नहीं - मन की बात नेहा के साथ (part-1)
अब तक आपने पढ़ा कि पूर्वी को नृत्य का बहुत शोंख है उसने क्लासिकल डांस भी सीखा है... पर आगे नृत्य की दुनिया में कुछ कर पाती उससे पहले उसकी शादी हो गयी !! ससुराल में भी उसने कभी अपना सपना किसी को नहीं बताया क्यों कि उसे लगा शायद मेरा नाच-गाना किसी को अच्छा न लगे !! पर आज जब ये बात सबके आगे खुल गयी है तो पूर्वी बहुत डरी सहमी सी बस नज़रे झुकाये सबके आगे खड़ी है !!
अब आगे..........
पूर्वी के आते ही किशोरी जी के कुछ बोलने से पहले ही बुआ-सास ने पूर्वी को चिल्लाते हुए बोलना शुरू कर दिया !! नाच-गाना करे है बहुरिया !! नहीं मालुम ससुराल में कैसे रहा जाता है !! किशोरी कुछ नहीं कहती तो क्या अब मन के हो जाओगे सब लोग !!
पूर्वी बस डरे हुए झुकी आँखे रखे हुए खड़ी थी !! आखिर करती भी क्या, कुछ बोलने को था ही नहीं पूर्वी के पास !! अभी तो पूर्वी और डरी हुई थी क्यों कि अभी किशोरी जी ने कुछ नहीं बोला था !!
"पता नहीं मम्मी जी को कितना गुस्सा आता होगा मेरे पर, क्या बोलेगी मम्मी जी" - पूर्वी मन ही मन सोचती और परेशान हो रही थी, कि तभी पूर्वी की सास किशोरी जी ने आखिर चुप्पी तोड़ी !! बुआ की बात बीच में काटते हुए किशोरी जी ने पूर्वी को अपने पास बुलाया !!
"कब से चल रहा है ये नाच-गाना" - किशोरी जी ने पूर्वी को पूछा।
"जी मम्मी जी, वो बस पहले करती थी, अब नहीं करती, एक दिन गुड़िया ने जिद्द की थी तो सिखाने लगी थी !!" - पूर्वी ने संकोच करते हुए झुकी नज़रो से कहा।
"तो इतना घबरा काहे रही हो पूर्वी" - किशोरी जी ने आराम से पूर्वी को सरलता से कहा।
पूर्वी ने सास के चेहरे की और देखा तो किशोरी जी एक दम सामान्य, चेहरे पर शीतलता और शब्दों में भी निम्रता थी !!
"मम्मी जी आप गुस्से नहीं है मुझ पर, मेरे से गलती हो गयी, अब से ऐसा न होगा !!" - पूर्वी ने किशोरी जी को बहुत आदर से विनम्र हो कर कहा।
"गुनहगार जैसे बात मत करो पूर्वी, तुमसे कोई गलती नहीं हुई है, हाँ एक गलती जरूर हुई है जो तुमने मन की बात मन में दबा कर रखी !! इसमें कोई हर्ज़ नहीं, अगर तुम्हे नृत्य का शोंख है, तुम्हे हमे बताना तो चाहिए था !!" - किशोरी जी ने सहजता से पूर्वी को कहा !!
पूर्वी बस किशोरी जी की ओर एक तक देखती रह गयी !!
"तुम्हे नृत्य करना पसंद है तो तुम करो और साथ में सिखााओ भी, तुम्हारा अभ्यास भी हो जाएगा और तुम्हारा हुनर तुम औरो तक भी बांट पाओगी !!" - किशोरी जी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा।
"पर किशोरी लोग क्या कहेंगे इनकी बहुरिया नाच-गाना करे है !! सही लगेगा ये सब लोगो के मुँह से सुन कर !!" - बुआ जी ने हैरान होते किशोरी जी को टोकते हुए कहा !!
"जीजी सबकी सोच-सोच के तो हमने अपनी ज़िंदगी बीता दी, लोग क्या कहेंगे के डर से अपने कितने शोंख मन में दबा दिए !! अपनी इच्छाओ को छोड़ कर सबकी इच्छाओ में ही जीना शुरू कर दिया !! और आज इतनी उम्र बीत गयी सबके हिसाब से चलते चलते, पर क्या लोगो का मुँह बंद करवा पायी आप या मैं !! लोग तो जीजी अभी भी बोलते है और बोलते ही रहेंगे !! सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग !!
आज इस उम्र में भी लोग मुझे न छोड़ते, कुछ न कुछ मिल ही जाता है लोगो को चार बात बनाने के लिए !! मैंने सोच लिया है कि लोगो की सोच कर कोई अच्छा काम करने से अब इस घर में कोई किसी को नहीं रोकेगा !! आज तक पूर्वी ने लोगो का सोच कर, हमारा सोच कर अपनी इच्छा मन में दबाई रखी, पर अब जब ये हम सबको उजागर है तो अब ये मेरा फ़र्ज़ है कि मैं इन इच्छाओ को पंख दू !!" - किशोरी जी ने अपनी नन्द को समझाते हुए कहा !!
"अरे किशोरी सोच लो, सर पर बिठा रही हो घर को, जान समझ लो एक बार" - बुआ सास ने चेतावनी देने वाले लहज़े में किशोरी जी को कहा।
"नहीं जीजी मैंने सोच लिया, लोगो की ख़ुशी का सोच अपने घर के लोगो को दुखी करना कही की समझदारी ना है, लोगो को कोई खुश कर पाया है भला !!" - किशोरी जी ने बुआ जी को समझाते हुए कहा ।
"जीजी एक बात बताओ, इतने दिन से आप पूर्वी को देख ही रही है, क्या उसने आपकी खातिरदारी में कोई कमी छोड़ी भला !!" - किशोरी जी ने नन्द को शब्दों में जोर डालते पूछा ।
बुआ बस चुप्पी बांधे हुए थी !! फिर क्या था......... बुआ मुँह बनाते हुए अंदर चली गयी, और पूर्वी बस किशोरी जी का मुँह ताकती, जैसे कितना सम्मान आज दिल में घर कर गया था उनके लिए !! अपनी सास का ऐसा व्यवहार और सहयोग देख पूर्वी उनके पैरो को छू उनको जैसे धन्यवाद कर रही थी !!
"अरे वाह मतलब आज से चाची मुझे फिर से सीखा पायेगीं और दादी चाची का भी नृत्य देख इतना ही खुश होगी जितना मेरा देख हुई थी !!" - इतने में प्रियंका ने मासूमियत से सबको देखते बोला |
प्रियंका मासूमियत में बोल मुस्कुराने लगी पर कभी कभी बच्चो की भी मासूम बात में शायद एक बड़ा सन्देश छुपा रहता है .......सन्देश का एक पहलु ये था कि बेटी के नृत्य देख अगर मन खुश हुआ तो बहु भी किसी की बेटी है.... दोनों ही एक समान है और दूसरा पहलु ये था कि बेटी भी कल किसी की बहु होगी....। क्यों न दोनों के लिए भाव एक से बन जाए.....!!
समाज तो बदलेगा लेकिन उस बदलाव की शुरुवात अपने और अपने परिवार से करनी होगी... वो बदला हुआ नया समाज कितना आजाद होगा, जहा आलोचना की कोई जगह न होगी...... जाने कितने सपने पंख लगा उच्ची उड़ान भरेंगे !! कल्पना करने भर से ही उस सुन्दर समाज की तस्वीर उभरने लगती है....!!
किशोरी जी भी शायद अपने अनुभवों से अब ये बात समझ चुकी थी !! इसलिए अपनी बात कह आज बहुत अच्छा महसूस कर रही थी !! पूर्वी ने अपनी जेठानी (भाभी) के चेहरे पर भी अपने लिए अपार ख़ुशी देखी ।
किशोरी जी के फैसले से हर कोई सहमत था और पूर्वी को क्या चाहिए था !! पूर्वी की ख़ुशी सातवे आसमान पर थी !! अब पूर्वी की आँखों में नृत्य की दुनिया में कुछ करने का सपना फिर से चमक उठा था... जीने का नया उद्देश्य मिला था !!
जो सपना मायके में माँ ने दबा देने को कहा था, आज ससुराल में दूसरी माँ ने पंख दे दिए थे उन सपनो को !! जब अपने घर के सब राज़ी थे तो समाज के लोगो की मंजूरी की अब किसे जरुरत थी भला !!
पूर्वी आज सब सदस्यों से और जुड़ गयी थी !!
शायद ये सच्च है, अपना संसार तो अपना घर ही होता है, वो राज़ी तो संसार राज़ी !! फिर दुसरो को आलोचना भी हमे तोड़ नहीं पाती !!
Thank You.....
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8 Comments
Nic
ReplyDeleteHappy ending 👏👏
ReplyDeleteyes.. thank u rimpy........
DeleteSuperb😊🙏
ReplyDeleteThank u bhai..
DeleteWow ♥️
ReplyDelete👌👌
ReplyDelete:)
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