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बाबुल - मन की बात नेहा के साथ


ज़िंदगी जितनी आगे बढ़ती रहती है, साथ साथ इकट्ठी होती रहती है यादें...| कुछ अच्छी यादें तो कुछ बुरी यादें !! ये ही तो जीवन है, जैसे जैसे आगे बढ़ता रहेगा, बस यादों के रूप में सिमटता जाएगा.....!!

हर लड़की के लिए उसकी शादी की याद कुछ ख़ास यादों में से एक होती है| मेरी कुछ मीठी यादों से हर लड़की की जिंदगी को छूती एक याद आज सांझा कर रही हूँ|

शादी के दिन सुबह आँख खुलते ही कुछ जोर की आवाज सुनाई दी, जा कर देखा तो पापा सजावट करने वालो को खूब डांट रहे थे, काम ध्यान से करने की हिदायत देते हुए वहाँ से निकल गए, माथे पर शिकंज, चेहरा थोड़ा परेशान.. !!

दूसरे कमरे में जा कर देखा तो मेहमानो से कमरा भरा पड़ा था| घर का हर सदस्य इतना उत्सुक था, कोई अपने कपड़ो को ले कर planning कर रहा था तो कोई dance planning....!! सब अपने आप में व्यस्त कि पापा कि आवाज फिर से सुनाई देती है !! बच्चो पे चिल्लाने की आवाज, शायद सब cousins की मस्ती और इतना शोर पापा को पसंद नहीं आ रहा था !! वैसे पापा का व्यवहार बहुत मिलनसार और सरल है| पर शायद ये बेटी की शादी की जिम्मेदारिओं को निभाने की चिंता थी जो उनको परेशान कर रही थी !! माथे की सिकुड़न शायद दिल में चल रही उलझन का अक्स थी !! 

बेटी की शादी की ख़ुशी दिल में होना तो स्वाभाविक है परन्तु चेहरे से जैसे उनके अंदर चल रहे सभी सवालों को पढ़ा जा सकता था !! शादी का समय जितना एक लड़की के लिए ख़ास है, ठीक उतना ही ख़ास उस लड़की के पिता के लिए भी है| जहा बेटी खुश है अपनी जिंदगी के नए सफर की शुरुवात के लिए, वही एक पिता की आज सबसे बड़ी परीक्षा के सामान इम्तिहान है..!! आखिर उस बेटी के जन्म से ही उस पिता ने मन ही मन नजाने कितनी योजनाए बनाई है| आज जब शादी का दिन है, बस वो पिता इसी बंदोबस्त में है कि उन योजनाओ में कोई कमी न रह जाए|

पापा कुछ काम भईया और कुछ काम दूसरे रिश्तेदारों को सौपते हुए दूसरे कामो को देखने छत पर चले गए| छत पर हलवाई लगे थे| जैसे पापा का ध्यान एक जगह नहीं अनेक जगह था !! कही कोई कमी न छूट जाए इसलिए हर काम पर उनका ध्यान था| वैसे तो पापा के करीब मैं हमेशा से ही थी पर कोई मन की बात करनी होती तो माँ से ही करती| पापा हमेशा ऑफिस के कामो में व्यस्त भी रहते थे|

मंडप अभी सजा ही था कि शाम तक खूब तेज बारिश होने लगी !! कई तरह की plannings पर जैसे पानी फिर गया हो !! पापा को ढूंढती मेरी निगाह.... पापा नजाने कहा गायब थे !! पापा को ढूंढती मैं मंडप के पास वाले कमरे के पास गयी तो देखा पापा वहाँ अकेले बैठे थे !! पापा के पीछे मैं खड़ी, देखा तो पापा उदास से माथे पे हाथ रखे बैठे थे !! मुझे लगा पापा यूँ अचानक बारिश के हो जाने से बहुत परेशान है कि अब सब रस्मो और रिवाजो में कोई कमी न आ जाए !! 

उनको यूँ देख मैं जैसे ही उनके आगे आयी, उनकी आँखों में एक नमी थी !! नम आँखें और हाथ में मेरी बचपन की फोटो !! मैं समझ गयी थी, ये चिंता कामो की नहीं, बेटी की विदाई को सोच एक "बाबुल" का मोह है !! मुझे देखते ही पापा ने तुरंत मुँह फेर लिया !! शायद आँखों की नमी आंसू बन चेहरे पर गिर पड़ी होगी !! मैं भी जैसे कुछ बोल ना पायी !! नम आँखों से मैं भी वहाँ से हट गयी| न बोल कर भी वो पल दिल से जुड़ सा गया था !! मानो वो पल शादी की ख़ास यादों में से सबसे ऊपर जुड़ गया|

रात हुई और मैं दुल्हन के रूप में माँ-पापा के सामने थी| माँ मुझे देख रो पड़ी, शायद मैं अभी से पराई लगने लगी थी !! पर पापा का कुछ ना कहना भी मैं उनके मन की बात महसूस कर रही थी| आज पापा को पहले से ज्यादा समझ रही थी !! ये समझ रही थी कि ऐसे नजाने कितने पल रहे होंगे, जहा माँ ने अपना प्यार रो कर या हमें गले लगा कर दिखाया होगा पर पापा ने आज के जैसे नजाने कितनी बार ये एहसास बस अपने तक में ही सिमटा लिया होगा !! 

कितनी अजीब बात थी, जब आज मुझे उनसे बिछड़ना था तो मैं उनसे और भी ज्यादा जुड़ा महसूस कर रही थी !! 

शादी की रस्मे हुई, सब रिवाज हुए !! एक रिवाज बाकी था बस "विदाई" का ..!! मुझे याद है घर से विदा होते हुए, आखिर पापा भी रो ही पड़े| माँ-पापा से रुक्सती लेना यकीनन सबसे मुश्किल अनुभव था !! बचपन से ले कर अब तक के वो पल जो शायद आज तक कभी याद न आये हो, नजाने कहाँ से आँखों में घूम रहे थे !! पर माँ-पापा इस घडी में और कमजोर न पड़े सोच मैंने जल्दी से रुक्सती के कदम आगे बढ़ा लिए !! 


"ये कदम नयी जिंदगी के शुरुवात के थे, पर पुरानी ज़िंदगी के निशान आज और गहरे हो चले थे" !!

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Thank  You 

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