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बहुत इच्छा थी - part 1


इच्छाएं कब रुकी है भला !! हाँ, समय के साथ साथ बदल जरूर जाती है| कुछ पूरी होती है तो कुछ अधूरी ही सही, दिल में हमेशा के लिए अपनी जगह बना लेती है !! अधूरी इच्छाएं एक कसक जो छोड़ जाती है !!

सही भी तो है, इच्छाएं है तो इंसान जिन्दा है, बिन इच्छाओ का जीवन कैसा !! इच्छाएं तो जीने की वजह है| 

जब ख्यालों में खो कर दिल की सुनो तो अक्सर ऐसा होता है, अधूरी इच्छाओ का जिक्र दिल दिमाग से कर ही देता है और कई परिस्तिथियाँ दिमाग सोचने लगता है जो वास्तविकता में कभी पूरी हुई ही नहीं - "ऐसा होता तो फिर कैसा होता" !! 

मैंने कभी अपनी दादी-माँ को नहीं देखा, बहुत छोटी थी कि दादा जी भी गुजर गए !! बहुत बुरा लगा | जब गाँव जाते तो नाना-नानी से जरूर मिल कर आते थे, grandparents अब वही थे| अब मेरी भी उम्र थोड़ी बड़ी थी इसलिए रिश्तो की डोर की मजबूती पहले से ज्यादा समझ रही थी | 

जब नानी से मिलती, नानी खूब प्यार लुटाती | आखिर grandparents  के प्यार और उनकी दी नसीहतों का कोई मोल हो सकता है भला !! ये रिश्ता अनमोल है और उनसे जुडी हर बात ख़ास | इस अपनेपन का अनुभव बहुत गहरा है | नानी की कहानिया और मेरी demands बहुत लम्बी होती थी..!! नानी से बहुत लगाव हो गया था कि एक दिन चिट्ठी आयी, गाँव में नानी की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी !! मुझे पता चला तो मेरे मन में डर बैठ गया| पर मैं छोटी थी किसी से कुछ नहीं कहा !! कई दिन बीत गए नानी की कोई खबर ना आयी, एक दिन खबर आयी भी तो उनके गुजर जाने की !! मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी - बहुत इच्छा हुई कि काश एक आखिरी बार उनसे मिल पाती, पर कोई यूँ छोड़ कर जाए तो कहा वापिस आता है भला !! बहुत इच्छा हुई जैसे उनके पास होना चाहिए था शायद मुझे !! उनका अपने हाथ से मुझे खाना खिलाना और कहानिया सुनाना, क्या ये सब अब कभी नहीं होगा !! बहुत इच्छा हुई कि उनको देख पाती...... "काश" !! वो स्नेह से भरा स्पर्श मुझे फिर मिल पाता.. "काश" !! मन बहुत अशांत था !! मन का दुःख शायद मैं किसी को दिखा नहीं रही थी, पर नानी की याद बहुत आ रही थी......| 

अब गाँव जा कर वो घर उतना आबाद नहीं लगता, सच्च पूछो तो नानी के बिना वहाँ अब दिल नहीं लगता.....!! 


कभी कभी ख्याल रुपी सागर में हम सब डूब उन्ही इच्छाओ में खो जाना चाहते है जो दिल के कोने में अधूरी सी पड़ी है !! ख्यालो में ही सही पर हम सब कभी न कभी इस तरह के विचार को स्वीकारना पसंद करते है !! इच्छाएं जो कभी जीवित थी मन में आज "काश" रुपी चादर ओढ़े सो रही है, परन्तु दिल में उनका स्थान हमेशा ख़ास है.........!!

इच्छाएं तो मन की बात है - कुछ काश बन कर रह गयी, कुछ हमारा आज है !!

Thank You

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