पर नजाने क्यों एक दिन मन किया कि आज समय को आगे बढ़ जाने दू !! समय बढ़ जाए और मैं थम जाऊ !! शायद उस दिन मन बहुत बेचैन था और मैंने मन की बात सुनी, सब कामो को छोड़ मैं चाय का कप लिए बालकनी में बैठ गयी, सुबह का समय था, बैठे कुछ समय ही हुआ था कि घर के सामने वाले घर की छत पर बहुत पंछियो का इकट्ठ देखा | खड़ी हो कर थोड़ा पास जा कर देखा तो छत पर अनाज के दाने गिरे थे जिसे पंछी तेजी से चुग (खा) रहे थे | वही से खड़ी देख रही मैं जैसे कही खो सी गयी !! जैसे ये प्रकृति के करीब ले गया था मुझे !! ये कुदरत के बनाये कुछ दिल को छूते एहसास है !! पछियो को दाना चुगते देख मन बहुत शांत हो रहा था | मन जो कुछ देर पहले बहुत बेचैन था, अब धैरीत हो रहा था !! वो लम्हा कुछ अलग था | पंछियो को दाने चुगते देखना, एक सुकून जैसा था |
मैंने सोचा सही ही तो है, अगर कुदरत के करीब हो कर आपकी उलझने शांत हो तो क्यों नहीं इसको रोज़मर्रा का हिस्सा बनाना चाहिए | अगले दिन से सुबह मैंने मेरी बालकनी में पंछियो के लिए दाना और पानी रखना शुरू किया, तो कई पंछी बालकनी में आ दाना चुगने लगे | सच्च ये सुकून शायद पहले कभी नहीं मिला !! मैं अंदर की खिड़की से पंछियो को देखती, चेहरा अपने आप मुस्कुरा रहा था !! मैंने मेरे 4 साल के बेटे को मेरे पास बुलाया और पंछियो को देखने के लिए बोला, वो भी पंछियो को देख बहुत उत्साहित हुआ | तब से ये पंछी मेरी जिंदगी का हिस्सा है | मेरा बेटा भी इन पलो से बहुत आनंदित होता है | मुझे और क्या चाहिए भला !! पंछियो को खाना मिल रहा है और हमे सुकून | सुबह उठते ही मेरा बेटा मेरे साथ पंछियो को दाना डालता है और तब हमारे दिन की शुरुवात होती है |
कभी हमारे देरी हो जाने पर मानो पंछी भी इंतज़ार करते है !! ये बहुत खूबसूरत है | ये हमारा favourite समय है, मानो पुरे दिन का ख़ास लम्हा, और दिन की शुरुवात इतने ख़ास लम्हे से हो तो और फिर भला क्या चाहिए !!
यक़ीनन हमारे आस पास बहुत खूबसूरती है, पर शायद हम ही नहीं देख पाते !! देखते भी है तो शायद उस नज़रिये से नहीं समझ पाते....!! कुदरत की बनाई हर चीज़ अपने आप में एक दास्तां है, एक कहानी है ......|
" कुछ खूबसूरत लम्हे शायद हमे खुद से बनाने पड़ते है, जो अंदर चल रही उलझनों को शायद सुलझाने में अहम होते है..." |
Thank You
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5 Comments
Wow.. 😍
ReplyDeleteNothing compares to nature's beauty. Awsm dear
ReplyDeleteKudrat to jada khoobsurat aur kuj v nhi
ReplyDeletebilkul..
DeleteNice, Neha ji your article is so beautiful
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