जरुरी नहीं जैसा हमेशा से चलता आया है, वो आगे भी यूँ ही बढ़ाया जाए..!! बदलाव तो ज़िंदगी का अहम सच्च है | अगर बदलाव और बेहतर के लिए है तो बदलाव को अपनाना ही चाहिए |
आज की कहानी M.P के जबलपुर के एक छोटे से घर की वयांकन है....., जहाँ विनोद जी, उनकी माँ (अम्मा) , उनकी पत्नी और बेटी रौशनी के साथ रहते है | रौशनी समझदार होने के साथ साथ पढ़ी लिखी भी है | MBA कर चुकी रौशनी, अब किसी आगे की परीक्षा की तयारी में जुटी है |
काफी दिन से अम्मा की तबीयत कुछ ढीली थी तो अम्मा की बड़ी बेटी सुमन जो इसी शहर में बियाही है, भी घर पर अम्मा से मिलने आयी है |
घर के फ़ोन की घंटी बजी तो अम्मा ने फ़ोन उठाया | फ़ोन पर 5 मिनट ही बात हुई कि फ़ोन रखते ही अम्मा का रवैया कुछ गरम सा था !! पोती रौशनी से कुछ खफा सी थी जैसे !!
(पर ऐसा भी क्या फ़ोन पर हुआ, जो अम्मा के व्यवहार में इतना बदलाव साफ़ दिख रहा था !!)
"दादी, इतना उखड़ी सी क्यों लग रही हो" !! - रौशनी ने अम्मा को पीछे से गले लगाते हुए पूछा |
"तू अब क्या समझेगी, जब आज तक नहीं समझी.." !! - अम्मा ने माथा सिकोड़ते हुए जवाब दिया |
इतने में विनोद जी ने दूर से चिलाते हुए कहा : "अम्मा फ़ोन किसका था !! क्या बात हो गयी भला जो यूँ मुँह उतरा है आपका" !!
"राघव (रौशनी के दूर के चाचा) की बेटी की शादी पड़ी है, राघव का फ़ोन था, हम सब को इंदौर बुलाया है शादी में" - अम्मा ने थोड़ा चिढ़ते शब्दों से कहा |
"अम्मा, ये तो अच्छा है | इसी बहाने थोड़ा घूमना हो जाएगा, इंदौर भी जा आएंगे" - विनोद जी ने मुस्कुराते हुए कहा |
"तुझे तो घूमने की पड़ी है बस !! अपनी बेटी की शादी कब करेगा तू !! राघव की बेटी से पुरे 3 साल बड़ी है रौशनी | रौशनी की तो पढ़ाई न ख़तम होवे है, अब और कितना पढ़ेगी | रौशनी से छोटो की भी शादी होने लगी अब !!" - अम्मा ने मुँह बनाते हुए गुस्से में कहा |
ऐसा नहीं था कि अम्मा को रौशनी से प्यार नहीं था, अपनी दादी की लाडो थी रौशनी पर उसकी शादी की ही फ़िक्र रहती थी अम्मा को !!
रौशनी की बुआ सुमन जो कुछ दिनों के लिए अम्मा से मिलने आयी है, अम्मा की बातें सुन बगल के कमरे से निकल अम्मा के पास आ कर बैठ गयी |
सुमन : अम्मा, मुझे याद है वो दिन, आज से करीब 30 साल पहले जब मेरी पढ़ाई छुड़वा दी गयी थी !! आप सबने पढ़ाई से ज्यादा जरुरी मेरी शादी करना सही समझा था !! कितना रोई थी अम्मा मैं आगे और पढ़ने के लिए !! पर उस समय मेरी एक न चली !! मेरी किताबो से लिपट मैं खूब रोती थी अम्मा....!! आपने तो मुझे रातो में दिए की रौशनी में पढ़ते देखा है, कितना लगाव था मुझे पढ़ाई से, पर फिर भी मेरी पढ़ाई छुड़वा दी गयी अम्मा !! उस समय मेरी उम्र ही क्या थी !! मैं अपने लिए कुछ बोल भी नहीं पायी थी !!
हाँ मेरे आंसू जरूर बहुत कुछ बोल देते थे पर इन आंसुओं को समझने का किसी के पास समय ही कहा था भला !! मेरा पुरानी किताबो को ही बार बार पढ़ना...... वो सब अम्मा याद है मुझे | लेकिन शायद आप वो सब भूल गयी अम्मा, तभी तो आज 30 साल पुराना इतिहास दोहराने चली हो !!
उस समय लड़कियों को ज्यादा ना पढ़ाना आम बात थी अम्मा | मुझे तब भी तकलीफ हुई लेकिन फिर भी मैं सह गयी क्यों की घर की मजबूरियों को भी मैं समझ रही थी | शादी के बाद भी मेरी इच्छा पढ़ाई को ले कर कम नहीं हुई थी परन्तु कुछ हो ही न सका..!!
पर आज समय बहुत ज्यादा बदल चूका है अम्मा, आज की जरुरत भी है कि हर कोई शिक्षित हो...|
रौशनी में मैं अपनी छवि देखती हू, और मैं अब इतिहास दोहराने नहीं दूंगी !! अपने लिए मैं अबला थी पर आज मैं रौशनी के लिए मजबूती से खड़ी रहूंगी |
इतने में विनोद जी भी अपनी बहन सुमन के कंधो पर सहमति भरा हाथ रखते हुए बोले,"दीदी मुझे माफ़ करिये कि उस समय मैं आपकी कोई मदद नही कर पाया !! आपको रोते बिलखते तो मैंने भी देखा था पर बाबू जी से मैं कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था !! शायद घर के हालात भी कुछ ठीक नहीं थे, ना मेरी भी उम्र थी बाबू जी से सवाल जवाब करने की !!
सहानुभूति के दो शब्द सुन कर सुमन भी रो दी | बरसो पुराना दर्द आँखों से निकल रहा था !! विनोद जी की भी आवाज में एक कशिश थी और आँखों में बीते दिनों को ले कर तकलीफ साफ़ देखी जा सकती थी !!
आखिर अब अम्मा भी सन्न हो कर चुप बैठी थी और सुमन को इशारे से अपने पास बुलाया, सुमन के पास आते ही अम्मा ने सुमन के आंसू अपनी साड़ी के आँचल से पोछते हुए सुमन के सर पर हाथ रखा, मानो अम्मा आज बरसो पुराना दर्द समझी हो..!!
इतने पर दूर खड़ी रौशनी ये सब भीगी आँखों से देख रही थी | साथ ही बुआ सुमन और पापा के लिए उसकी आँखों में प्यार और इज्जत और बढ़ गयी थी आज !! बुआ ने रौशनी के मन की बात कह दी थी जैसे |
रौशनी ने माहौल को ठीक करने के लिए झट से आ कर हस्ते हुए दादी को गले से लगा लिया........|
"मेरी प्यारी दादी" कह कर रौशनी अम्मा से लिपट गयी !!
"जाने इस लड़की का बचपना कब जाएगा" - दादी ने रौशनी के गाल पर प्यार की थपकी मारते हुए कहा |
सबके चेहरों पर हलकी हसी ने दस्तक दे दी.......!!
बरसो पुरानी सीख आज दिल में उतर आयी थी....कुछ दिल के दर्द बह निकले थे, पर ऐसा होना भी शायद समय की जरुरत थी........!!
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बिटिया की पढ़ाई जरुरी या शादी part-1
Thank You
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14 Comments
Mann me dabi aawaj aankhon men nami degai, teri ek muskan mere bite dinon ki kami dorr kargai.
ReplyDeleteWaah waah ... 👍👌
DeleteBeautiful said
ReplyDeletethank you bhabhi
DeleteNicely written
ReplyDeleteVery nice ,👍
ReplyDeletethank you so much
DeleteVery good Neha..
ReplyDeletethank you
DeleteAwesome one
ReplyDeletethank u dear
DeleteBhut khoob neha
ReplyDeletethank you inder
DeleteAwesome content
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