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Strong Mother - A Journey - मन की बात नेहा के साथ पार्ट-1

आज की कहानी एक सफर है - एक पत्नी से माँ तक का सफर.....!! उसके रास्ते की कई चुनौतियों का सफर.. और इन चुनौतियों से उभरती एक मजबूत माँ का सफर..!! 




शाम का समय था | सुरभी को जॉब से आये कुछ ही समय हुआ था कि सुरभी की बेटी कियारा जो 8 साल की है, घर के सामने वाले पार्क में बच्चो को खेलता देख सुरभी से पार्क ले चलने की जिद्द करने लगी | सुरभी एक working woman होने के साथ साथ, घर के भी सब काम खुद ही संभालती है !! शाम होते तक सुरभी सुबह से की दौड़भाग से थक चुकी थी पर कियारा के बार बार जिद्द करने पर सुरभी को उसे पार्क ले कर जाना ही पड़ा !!

पार्क जाते ही कियारा बहुत ख़ुशी से खेलने लगी, सुरभी वही पास रखे bench पर बैठ कियारा को देखने लगी | सुरभी की नज़र दूसरे बेंच पर बैठे एक couple पर पड़ी जो भी अपने बच्चे के साथ पार्क आये थे | उस couple का अपने बच्चे की मस्ती देख एक साथ हस देना, आपस में बातें करना, बच्चे की फोटो खींचना !! सुरभी ये सब देख अपने पति केशव को याद कर बीते दिनों में खो सी गयी !! दरसल, केसव को गुजरे हुए 2 साल हो चुके है !! सुरभी एक single parent है और अकेले जॉब और घर दोनों की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही है | पर यूँ couple को देख सुरभी भी केशव के साथ बिताये दिनों में खो गयी !!


सुरभी पढ़ी लिखी थी लेकिन शादी के बाद जल्दी ही कियारा का जनम हो गया और सुरभी ने जॉब करने का सोचा भी नहीं | केशव हमेशा  सुरभी को सपोर्ट करता कि उसे जॉब करनी चाहिए, independent (आत्मनिर्भर) होना हर किसी का हक़ है और सबको होना ही चाहिए | 


लेकिन सुरभी को हमेशा से ये ही लगा कि बेटी को उसकी जरुरत है, घर को उसकी जरुरत है, इसलिए सुरभी ने केशव की बात को गंभीरता से कभी नहीं लिया !! 


सुरभी बस ये ही सोचती की सब कुछ अच्छा तो चल रहा है | केशव की अच्छी जॉब है, अच्छा घर है और एक प्यारी से बेटी और उसे क्या चाहिए भला !! सच्च पूछो तो सुरभी emotionally (भावनात्मक) और financially (आर्थिक रूप से) हर तरह से केशव पर ही निर्भर थी !! 


केशव हमेशा बुरे वक़्त में सुरभी को एक ही बात बोलता - "be strong surbhi" (मजबूत रहो सुरभी) | 


जब एक सड़क दुर्घटना में केशव गंभीर घायल हुआ और अस्पताल में २ दिन भर्ती रहने के बाद केशव का देहांत हो गया तब भी अपने अंतिम समय में भी केशव ने सुरभी से अकेले में मिलने की इच्छा रखी थी और बस सुरभी को देख एक ही बात बोल पाया - "be strong surbhi" और केशव का देहांत हो गया !!


सुरभी पर तो मानो दुखो का पहाड़ टूट पड़ा हो | केशव का यूँ साथ छोड़ कर जाना....!! सुरभी को यकीन नहीं आ रहा था कि सच्च में उसके साथ ऐसा हुआ है !! 


अब तक हर तरह से सुरभी केशव पर निर्भर थी..!! अब कई चुनौतियां सामने आ खड़ी हो गयी थी !! घर की और कियारा जो अभी महज 6 साल की थी, की जिम्मेदारियां अब सुरभी के कंधो पर थी !! सुरभी का घर और जिंदगी दोनों अधूरी सी हो कर रह गयी थी....!!


क्या करे........ !!

क्या ना करे....!! 


कुछ भी समझ नहीं पा रही थी !! रिश्तेदारों ने भी अब दूरी बना ली थी !! अगर कोई किसी छोटी चीज़ के लिए भी सुरभी की मदद कर देता तो सुरभी को बेचारी की नज़र से या दयाभाव से देखा जाता.....!!


सुरभी को ये सब बहुत बुरा लगता !! सुरभी ने ये ही सोचा कि अगर सबकी नज़रो में वो बेचारी और उसके लिए दयाभाव ही रहेगी तो कियारा मुझसे क्या सीखेगी भला.....!! क्या कियारा की नज़रो में भी एक बेचारी माँ बन कर रह जाना ठीक होगा..!! 


अब कियारा के लिए जीना था सुरभी को, कियारा को strong (मजबूत) बनाना है तो सुरभी को भी अब मजबूत होने की जरुरत है...| केशव के भी सुरभी को कहे अंतिम शब्द ये ही तो थे- "be strong surbhi" 


बस सुरभी ने ठान लिया था कि अबसे वो न अपनी नज़रो में, न दुसरो की नज़रो में बेचारी रहेगी !!


सुरभी ने नौकरी पाने के लिए कई जगह इंटरव्यू दिए, और जल्दी ही सुरभी को एक स्कूल में अध्यापिका के तौर पर नौकरी भी मिल गयी | अब सुरभी की दिन रात की मेहनत थी..!! घर, नौकरी और छोटी बच्ची की देख रेख एक चुनौती जैसा था..!! 


केशव के गुजर जाने के कई महीनो तक कियारा सुरभी से दिन में कई बार पूछती "माँ, पापा कब आएंगे" | पहले सुरभी के पास कोई जवाब न होता, पर आखिर कियारा को इसका जवाब देना भी जरुरी था |


लेकिन शायद ये उम्र नहीं थी कि कियारा इन गंभीर और कड़वी सच्चाई को यूँ समझ पाए..!! आखिर केशव और कियारा का रिश्ता बहुत मजबूत जो था | बाप बेटी खूब साथ में समय बिताते थे | "पापा की परी थी कियारा" और इन दोनों की मस्ती सुरभी की जान थी..!! 


पर अफ़सोस......!!

बहुत अफ़सोस.........!!


"बेटा, पापा भगवान् जी के पास गए है" ताकि वो आपकी हर wish (तमन्ना) पूरी कर सके" - सुरभी ने आँख में आंसू पर होंठो पर हलकी सी मुस्कान भर कहा...!!


"माँ, मुझे पापा से बहुत सारी बातें करनी है" - कियारा ने मासूमियत भरी नज़रो से सुरभी को देखते हुए बोला !!


"बेटा आप पापा को चिट्ठी लिख सकती हो और पापा आपकी चिट्ठी भगवान् जी को भी सुनाएंगे, तब भगवान् जी भी आपकी हर wish पूरी कर देंगे...." !! - सुरभी बस इतना बोल नज़रे झुका रोने लगी और कियारा को गले लगा लिया | 


आज जब केशव को गुजरे 2 साल हो गए, अभी कई दिनों से कियारा ने कभी नहीं पूछा कि "पापा कब आएंगे" ..!! शायद कही इस छोटी उम्र में भी गंभीरता को समझने लगी थी कियारा..!! 


पर हाँ, आज भी रात को सोने से पहले कियारा पापा को चिट्ठी लिखना नहीं भूलती !! चिट्ठी लिख सिरहाने के निचे रख सोना, कियारा की आदत बन चुकी है !! नजाने कितनी बातें और कितनी wishes कियारा अक्सर शब्दों में उतार देती है और सुरभी आज भी उन wishes को पढ़ हर संभव कोशिश करती है उन्हें पूरा करने की......!!


केशव की कमी को महसूस कर पार्क के बेंच पर बैठी सुरभी की आँखों से आंसू मानो बरसात जैसे गिरने लगे !! अपने आंसुओं को पोछती और छुपाती सुरभी कियारा को ले अब घर आ गयी ..!! 


पर अक्सर ऐसा होता कि दिन के उजाले वाली "मजबूत माँ-सुरभी" रात के अंधेरो में अपनी तन्हाई से बात करते टूट कर रो ही पड़ती..... !! उसके मन की बात सुनने वाला भी तो अब कोई नहीं था..!! लेकिन फिर अगले दिन के लिए खुद को संजोती और त्यार करती - एक मजबूत माँ के रूप में........ !!  




salute to all strong mothers, single mothers....... every mother around the world.......

To be continued..........


कहानी का दूसरा भाग पढ़ने के लिए निचे दिए लिंक पर click करे 

Strong Mother - A Journey (part-2)


Thank You 

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हालातों की सीख़ - मन की बात नेहा के साथ