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दिवाली - दिल वाली

दिवाली - दिल वाली 


चाहे उत्सव कोई भी हो, शादी का हो या जन्मदिन का या फिर कोई त्यौहार का, जुड़ा होता है अपनों के साथ से, दोस्तों से और रसोई में पकते कई पकवानो से...!! 





बचपन की दिवाली याद करो तो यादों का भवंडर सा उमड़ने लगता है....!! वो दिवाली कितनी ख़ास हुआ करती थी !! मुझे याद है वो पुराने दिन जब दिवाली महज एक दिन का त्यौहार नहीं, बल्कि लगभग 15 दिन का जश्न हुआ करता था !! वो 15 दिन पहले से दिवाली के आने की ख़ुशी और ढेर सारी त्यारियां...... उन दिनों की बात ही कुछ अलग हुआ करती थी !! 


वो माँ का घर की सफाइयों में लग जाना और हम भाई-बहनो को छोटे छोटे कामो की जिम्मेदारियां देना, दिवाली को और ख़ास बना देता था !! घर से सब अनुपयोगी चीज़ो को नयी चीज़ो से बदल देना, घर में नयी रौनक सी लग जाती थी.....!! बाजार में सजावट और कई तरह के ऑफर, कई लोगो को इंतज़ार हुआ करता था बहुत सारी खरीदारी का...!! 


माँ का अपने हाथो से कई तरह की मिठाईया बनाना, उस समय की शुद्धता का एहसास आज भी करवाता है !! घर के बने लड्डू, बर्फी, गुझिया और कई तरह के पकवान, पूरा घर मिठाइयों की खुशबू से महक उठता था। होम सच्च में स्वीट होम सा लगता था !!


आज त्योहार के मायने बदल गए है !! सब कुछ बाजार में आसानी से उपलब्ध है.. हर कोई समय बचाने के इंतज़ाम में ज्यादा उलझना ही नहीं चाहता....। बच्चो के लिए त्यौहार के मायने बदल रहे है !! त्यौहार की उमंग सिमट कर 1 या 2 दिन की रह गयी है !! 


दिवाली से पहले धनतेरस का उत्सव, उस दिन भी माँ का खरीददारी करना, कुछ घर का सामान तो कुछ हमारे लिए ले आना, खुशिया इन्ही मीठे पलों से थी !! शाम को धनतेरस की पूजा और कुछ ही दिनों में दिवाली के आने की ख़ुशी..... क्या समय था !!


वो दिवाली से पहले पापा का नए नए कपडे लाना, हम सब भाई बहनो के चेहरे की उत्सुकता याद कर आज भी चेहरे पर मुस्कान खिल उठती है !! दिवाली के दिन की शुरुवात सूरज निकलने से पहले ही हो जाया करती थी !! सुबह की शुरुवात ही रसोई में बन रहे पकवान की खुशबू से हुआ करती थी !! सच्च में वो दिन बाकी सब दिनों से अलग और खूबसूरत महसूस हुआ करता था। 


हम सब भाई बहनो का उस दिन माँ के बिना जगाये खुद से उठ जाना और इतनी उत्सुकता से जल्दी से नहा कर नए कपडे पहन कर त्यार हो जाना !! सुबह मंदिर दर्शन के लिए जाना....... वाह, काश वो पल फिर आ पाए.....!! सुबह से रात के जश्न की बहुत सारी plannings करना, शाम से कई मेहमानो का घर पर आना और हमारा उनके घर जाना, मिठाइयों की अदला बदली, सब कुछ बहुत प्यारी यादें है !! 


आज कल लोगो से मिलना जुलना कम और वीडियो कालिंग पर मुलाकातों का ज़माना है...!! बाजार में बनी मिठाईया उतनी शुद्धता का एहसास कहा करवा पाती है भला !! कुछ ख़ास पकवान मुँह में जा कर पिघले उससे पहले इंस्टाग्राम पर अपलोड हो जाते है !! त्यौहार के माईने सच्च में बहुत बदल चुके है !! 


वो शाम से भईया के पटाखों का शोर और चमक... मैं दूर से तालिया बजा हस्ती रहती थी !! पटाखों से दूरी बना कर मेरा खड़ा होना और बस देख देख खुश होना और भईया का मुझे डरा डरा कर पटाखों का मेरे पास लाना !! मीठी सी नोक झोक भी एक रिवाज सा बन गया था !! बड़े से आँगन में बड़ी सी रंगोली और उन रंगोली पर दिए की सजावट, बहुत सुन्दर था !! 


उस नन्ही उम्र में न तो air pollution का डर था और न ही इतनी समझ, बेफिक्री वाली हसी से गूँज उठती थी वो रात !! रात में दिवाली पूजन में सब परिवार का इकट्ठे हो कर पूजा करना, वो साथ में गायी आरती फिर माँ का दिया वो मिठाई वाला परशाद.... लष्मी पूजन के बाद अपनी किताबो के आगे भी हाथ जोड़ना, माँ कहती थी ऐसा करने से पूरा साल बरकत होती है, ये यादें भुलाये नहीं भूली जा सकती !!


पूजन के बाद, पुरे घर में दीया लगा, दीयों की रौशनी से घर जगमगा जाता था । छत पर मोमबत्ती से की सजावट और लाइट्स वाली लड़ी..... मुझे बेहद पसंद था ।  





साथ में बितायी वो दिवाली तो ख़ास थी है, दिवाली के अगले दिन भी दिवाली सी रौनक, छोटी दिवाली के नाम से उत्सव तो उस दिन भी कायम रहता था.....!! 


आज भी जब बच्चो को दिवाली के त्यौहार के लिए उत्साहित देखती हूँ तो अपने बचपन के दिन, वो एहसास फिर से जी उठते है..!! बच्चो का बचपन तो आज भी वैसा ही है, चाहे बहुत से माईनो में त्यौहार को मनाने का तरीका बदल भी गया हो !! ऐसा नहीं है कि अब बड़े होने पर दिवाली का जश्न नहीं है, पर वो बचपन जैसी बात भी नहीं है.....!! वो बचपन के दिन थे और आज बड़े होने की समझदारी, तब अपने बचपन के किस्से थे, आज अपने बच्चो के किस्से देख ख़ुशी मिलती है....!! 


बचपन में हम भाई बहनो की साथ मिल कर मनाई दिवाली, अब अलग अलग मनाई जाती है, हम बहनो की शादी जो हो गयी... लेकिन उन पलों की यादें हर दिवाली को याद जरूर आ जाती है.........!! 


इसीलिए कहा गया है न - "ज़िंदगी के सफर में गुजर जाते है जो मुकाम, वो फिर नहीं आते........ वो फिर नहीं आते.....!!"


पर उम्मीद करती हूँ कि आज भी उस घर की दिवाली और सबके घरो की दिवाली वैसे ही चमकती रहे..... जगमगाती रहे..... सबकी दिवाली दिल-वाली दिवाली हो !!






अपनों के साथ दिवाली का उत्सव खूब प्यार से मनाये....... क्या पता कब आप ज़िंदगी भर के लिए ख़ास यादें संजो रहे हो... !!


Thank You......




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