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बोझ - मन की बात नेहा के साथ

बोझ - मन की बात नेहा के साथ 


कोई बहाना बना कर अपनी जिम्मेदारियां दुसरो पर डाल देना शायद बहुत आसान है........ पर खुद की अंतर-आत्मा को इसके लिए जवाब देना बहुत मुश्किल.....!! परन्तु अंतर-आत्मा आपसे प्रश्न करे इसके लिए अंतर-आत्मा की आवाज का जिन्दा होना बहुत जरूरी होता है !! पर अफ़सोस आज अधिकतर लोग अंतर-आत्मा को मार चुके है......!!




मीनल कब से आज अपने घर में काम करने वाली बाई की राह तक रही थी !! पूरा घर फैला हुआ था....!! बहुत इंतज़ार के बाद मीनल ने सोचा काम अब खुद ही शुरू करना होगा....... लगता है आज काकी (सरला बाई) ने छुट्टी कर ली है कि उतने में दरवाजे की घंटी बजती है !! मीनल ने जा कर देखा तो सरला बाई ही थी !!

"अरे काकी, क्यों आज इतना देरी से !! कब से राह तक रही हूँ, पता है न गुड़िया के स्कूल से आने का भी समय हो रहा है।  फिर उसके रहते सफाई अच्छे से नहीं हो पाती... समय पर आना चाहिए न" - मीनल ने सरला बाई को अपनी बेटी पीहू के आने का समय बताते हुए जल्दी आने को कहा। 

"भाभी आज कुछ तबीयत ही ठीक नहीं लग रही थी !! जाने क्या हो गया है कुछ दिन से ठीक नहीं लगता !!" - सरला बाई ने मीनल को बताते हुए कहा। 

दरअसल सरला बाई की उम्र मीनल से बहुत ज्यादा थी, सरला बाई 50 साल की थी, पर फिर भी सम्मान में सरला बाई मीनल को भाभी ही कहती और मीनल उनको काकी.....!! बस सरला बाई ने काम शुरू कर दिया और कुछ ही देर में पीहू जो पहली कक्षा में पढ़ती है, अब स्कूल से घर आ गयी थी !! आते ही मस्ती और सरला बाई के साथ भी पीहू का मस्ती मजाक चालु था !! लेकिन आज बुझी बुझी सी सरला बाई जैसे उसका बात करने का मन ही न हो, यूँ तो सरला बाई भी पीहू के साथ खूब समय बिताना पसंद करती है ।।  पीहू सरला बाई की ही गोद में तो पली बड़ी है !! कई सालो से सरला बाई मीनल के घर काम करती है । 

काम पूरा कर सरला बाई मीनल के पास आ बैठ गयी, दरअसल काम करने के बाद मीनल सरला को खाना खिला कर ही जाने देती है, सरला के बैठते ही मीनल सरला बाई के लिए खाना निकाल लाइ ।  सरला बाई ने खाना खाया और चली गयी !!

"मम्मा, आज सरला आंटी मेरे साथ खेली भी नहीं !!" - पीहू ने थोड़ा नखरीले अंदाज़ में बोला। 

"बेटा, आज उनकी तबीयत ठीक नहीं थी" - मीनल ने पीहू को समझाते हुए कहा । 

अगले दिन भी सरला कुछ देरी से ही आयी और मीनल ने देखा तो सरला बाई को तेज बुखार था !!

"आपका बुखार बहुत तेज है काकी, आपको आराम करना चाहिए था, नहीं आना चाहिए था आपको !! अब काम कैसे करेंगी, आप रहने दो अब, कुछ देर बैठो यही" - मीनल ने सरला बाई को काम करने से मना करते कहा । 

"नहीं नहीं भाभी धीरे धीरे कर लगी, पीहू भी आने वाली है, आप रहने दो" - सरला बाई ने कहते उठ काम शुरू कर दिया । 

जैसे तैसे आज काम ख़त्म कर, खाना खा सरला बाई चली गयी !! अगले कई दिन सरला बाई नहीं आयी !! मीनल ने फ़ोन करके खबर ली थी तो पता चला कि सरला बाई बहुत बीमार है, कई दिन से अस्पताल में भर्ती भी थी !!

सरला बाई से मीनल का एक रिश्ता सा जुड़ गया था कई सालो का !! आज मीनल ने सरला बाई को मिल कर आने का सोचा । अस्पताल पहुंचने पर मीनल ने देखा कि सरला बाई की तबीयत बहुत खराब थी !! डॉक्टर के मुताबिक़ उनको लिवर और किडनी से जुडी कोई परेशानी थी। 

सरला बाई को यूँ बिस्तर पर बेबस पड़े देखना मीनल को कचोट सा रहा था !! बातूनी सरला, हमेशा काम करते करते मीनल को अपने घर की बातें बताया करती थी !! सरला का पति कुछ काम नहीं करता था, घर खर्च तक सरला लोगो के घर काम करती तो उसके पैसो से ही चलता था !! एक जवान बेटा था पर वो भी कोई काम नहीं करता था !! बेटे को नौकरी मिलती भी थी तो वो छोटा काम कह कर नहीं करता था, कोई बड़ी नौकरी की तलाश में घर पर बैठा था !! पूरा दिन सरला बाई कई घरो में काम करती और घर की जिम्मेदारियां उठाती थी !! 

सरला बाई कभी कभी मीनल के आगे रो भी देती थी !! अपने मन की बात मीनल से किया करती थी | हमेशा बोला करती थी, भाभी घर जा कर भी घर के काम करने पड़ते है.....कम से कम बेटा शादी कर लेता तो कोई घर संभालने वाला हो जाता !! पर जैसे सरला बाई के घर तो सब सरला के ऊपर ही छोड़ दिया गया था....... किसी को सरला की नहीं पड़ी थी !! सरला बस मशीन जैसे समय देख देख काम करती रहती कि दूसरे के घर काम करने जाने का समय हो जाता !! 

सरला को कही जाना भी होता तो नहीं जाती क्यों कि घर भी संभालने वाला और कोई नहीं था !! इतनी चुस्त फुरत सरला आज अस्पताल में थकी हारी सी पड़ी थी !!

"काकी, कैसी तबीयत है आपकी अब... जल्दी से ठीक हो जाईये... पीहू भी आपको बहुत याद करती है..." - मीनल ने सरला बाई को अस्पताल में कहा । 

सरला बाई चुप चाप बस मीनल को देख रही थी, मानो बोलने की भी हिम्मत न हो !! 

मीनल सरला के घर वालो को ज्यादा तो नहीं जानती थी !! बस सरला के मुँह से सबके बारे में सुना था... पति तो कभी कभी सरला को शराब पी कर मार भी देता था !! बेटे को भी कुछ परवाह रहती अपनी माँ की तो छोटी नौकरी ही कर माँ का खर्च बाँट सकता था !! मीनल को पता था सरला बाई के इलाज के लिए भी बहुत तंगी चल रही थी इसलिए मीनल से जितना बन पाया उस ने अस्पताल और दवाइयों का खर्च तक उठाया !! 

मीनल तो घर आ गयी पर जैसे दिमाग में सरला बाई का ख्याल ही घूमे जा रहा था !! कितना कुछ सहना और फिर भी मुस्कुरा देना...... बस सरला बाई ही कर सकती थी !!

कई दिन और बीत गए !! सरला बाई की खबर यूँ तो मीनल लेती रहती थी पर पिछले कुछ दिनों से मीनल के घर कई मेहमान और पीहू के इम्तिहान की वजह से मीनल सरला बाई की कोई खबर ना ले पायी थी....!!

आज जब मीनल ने सरला बाई के नंबर पर फ़ोन किया तो फ़ोन बेटे ने उठाया !! बेटे ने जो बताया मीनल को बड़ा झटका सा लगा !! सरला बाई का देहांत हो चूका था !! मीनल तो समझ नहीं पा रही थी कि बोले क्या !! बस इतना पता चला कि लिवर में कुछ इन्फेक्शन होने की वजह से सरला बाई नहीं बच पायी !!

हे भगवान्.......... काकी......... बस इतना कहते मीनल रो पड़ी !! आँखों से आंसू बहे जा रहे थे..... आखिर मीनल ने कभी उन्हें एक बाई जैसा नहीं माना था, और सरला बाई भी तो मीनल और पीहू के साथ कई सालो से बंधी थी !! पीहू के होने पर सरला बाई ही थी जो हमेशा मीनल के साथ थी !!

मीनल को सरला बाई के दुःख याद आते जो सरला बाई बस मीनल से ही कहा करती थी !! इतनी जिम्मेदारियों का बोझ और फिर भी किसी ने कभी सराहा नहीं था उन्हें....!! बेटा होने के बाद भी बेटे ने कभी बेटे का फ़र्ज़ नहीं निभाया था, पति ने अपनी जिम्मेदारियों से एक जमाने पहले ही मुँह मोड़ लिया था !!

कई दिन तक मीनल बस यूँ ही सरला बाई को याद करती रहती !! आज बाजार से लौटते हुए मीनल ने सोचा कि एक बार सरला बाई के घर जा कर देखना चाहिए पता नहीं उनके बिना घर कैसे चलता होगा !! सरला बाई के नाते एक बार घर के हालात देखना मेरा फ़र्ज़ है !!

ये ही सब सोचते मीनल जब सरला बाई के घर गयी तो घर पर न सरला बाई का पति था न बेटा.......!! एक लड़की निकली जो नयी नवेली दुल्हन सी लग रही थी । पूछने पर पता चला कि सरला बाई के बेटे ने शादी भी कर ली है !! ये लड़की उसी की पत्नी है......!! घर कोई संभालने वाला नहीं था इसलिए शादी करना जरूरी था !! पति ने ऑटो चलाना शुरू कर दिया था इसलिए वो भी घर पर नहीं था  !! बेटे ने किसी कपडे की दूकान पर काम करना शुरू कर दिया था !! 

मीनल ये सब सुन कर हैरान थी..........!! सरला बाई को गुजरे कुछ महीने भी नहीं हुए थे और जैसे सब कुछ सेटल हो गया था !! सरला बाई जीते जी यही तो चाहती थी कि पति कुछ काम करे, बेटा काम करे, शादी करले ताकि सरला बाई की जिम्मेदारियां बट सके !! उस दिन अस्पताल में भी सरला बाई शायद ये ही चिंता में थी कि अगर उनको कुछ हुआ तो उनके घर का क्या होगा !! पर यहाँ तो सब कुछ ठीक हो चूका था.......!! क्या उनके मरने का इंतज़ार हो रहा था......!! क्या ये सब उनके रहते नहीं हो सकता था !! अगर ये ही सब उनके रहते सबने अपनी जिम्मेदारियां समझी होती तो चार खुशिया उन्होंने भी देखी होती । इतना परेशान न रहती बेचारी काकी....!!




वो करती थी तो सब बैठे थे......!! आज नहीं है तो किसी की जिंदगी नहीं रुकी !! तो फिर क्यों मरती रही वो हमेशा.....!! पूरी जिंदगी बस जिम्मेदारियों का बोझ अपने कंधो पर उठाती रही काकी.....!! मीनल को बहुत अफ़सोस हो रहा था सरला बाई को याद करते..... और बस आँख बंद कर काकी कहते.. आंसू पोछ मीनल अब घर आ गयी.....!!

सच्च में..... ये कैसी दुनिया है... किसी के जीते जी कैसे उसके बिना कुछ काम नहीं होते....!! फिर उसके गुजर जाने के बाद सब तरह के जुगाड़ बन जाते है !! शायद पहले सब चलता रहता है तो सब चलाते रहते है....। 

सबकी कदर समझे... खुशियों और सुख पर सबका हक़ है.... खुशिया जीए और खुशिया बांटे..........!! 


Thank You....

mann-ki-baat-by-neha


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हालातों की सीख़ - मन की बात नेहा के साथ