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Strong Mother - A Journey (part-2)

कहानी का पहला भाग विस्तार में पढ़ने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे.......

Strong Mother - A Journey (part-1)


अब तक आपने पढ़ा कि सुरभी एक सिंगल पैरेंट होने की वजह से कई चुनौतियों को झेलती अपनी बच्ची कियारा की परवरिश में लगी है !! कियारा केवल 6 साल की है...। और सुरभी के पति केशव की मौत के बाद सुरभी ने हमेशा कियारा के आगे एक मजबूत औरत की भूमिका निभायी है ताकि कियारा कभी कमजोर न पड़ सके..!! उधर कियारा पापा केशव को याद करती हर रात चिट्ठी लिखती ढेरो इच्छाएं शब्दों में उतार उस कागज़ के टुकड़े को सिरहाने के निचे रख सो जाती है.....जिन्हे सुरभी पढ़ हर संभव कोशिश करती है पूरा करने की....!! और कियारा की मासूमियत भरी समझ बस इतना ही समझ पाती है कि पापा ने चिट्ठी पढ़ उसकी हर विश पूरी करदी....!!

अब आगे.........................


कई सालो बीत गए यूँ सुरभी को अकेले जिम्मेदारियां निभाते निभाते !! अकेले चलना, थकना, और फिर खुद को समझाते हुए उठ कर फिर से चलना सुरभी बखूबी कर रही थी..!! कियारा की लिखी अपने पापा के लिए चिट्ठी पढ़ कई बार टूट सी जाती थी सुरभी.... जाने कितने बातें कियारा उस चिट्ठी के जरिये अपने पापा से कर लिया करती थी और ये सब सुरभी को तोड़ कर रख देता था !! मासूम कियारा की वो छोटी छोटी खवाहिशे जो पापा के लिए कियारा लिख सो जाया करती थी, सुरभी उनको भी अधूरा नहीं रहने देना चाहती थी...!! अब जब कियारा 10 साल की है, काफी कुछ समझने भी लगी है । 




सुरभी कई दिनों से नोटिस कर रही है कि कई दिन से कियारा पापा केशव के लिए चिट्ठी तो लिखती है लेकिन चिट्ठी बहुत अलग सी लगती हो जैसे.......!! अब चिट्ठी में कोई मैजिक की बात नहीं होती, पहले ढेरो इच्छाएं लिख देने वाली कियारा अब चिट्ठी में एक भी इच्छा नहीं लिखती !! कई दिनों से सुरभी को कियारा के ये बदलाव बहुत खटक रहे थे !! सुरभी ने सोचा भी था कि कियारा से बात करे पर शायद समझ नहीं पा रही थी कि क्या बोले......!! 


रात का समय था, रात का खाना खाने के बाद कियारा अपने कमरे में चली गयी थी अब..... सुरभी ने झांक कर देखा तो कियारा पूरी लीन हुए अपने पापा को चिट्ठी लिख रही थी !! अब कियारा की ये आदत सी बन गयी थी...... ये कियारा का ख़ास पल होता था जिसमें सुरभी भी उसे अकेला ही छोड़ देना सही समझती थी !!


जैसे ही कियारा के कमरे की लाइट बंद हुई, सुरभी समझ गयी कि कियारा अब सो गयी होगी... कुछ समय बाद सुरभी जब कियारा के कमरे में जा उसके सिरहाने को उठा चिट्ठी देखने गयी, उसने देखा आज एक नहीं वहाँ दो चिट्ठी है !! सुरभी बहुत हैरान हुई....!! सुरभी ने धीरे से दोनों चिट्ठी को उठा मद्धम सी लाइट ऑन कर जब पढ़ना शुरू किया, तो सुरभी के लाख कोशिशों के बाद भी उसके आंसू ना रुके !!


"प्यारी माँ, मैं समझ गयी हूँ कि पापा अब कभी नहीं आएंगे......... पर बस कई दिनों से हैरान थी कि फिर मेरी इच्छाएं कैसे पूरी हो जाती है भला..... माँ, फिर समझी कि वो आप थी जो आज तक मेरी माँ ही नहीं मेरे पापा से किये हर बात का जवाब थी....!! आप मेरे सरहाने आती और अगले दिन मेरी इच्छा पूरी हो जाती.....!! ये मैजिक कोई भगवान् नहीं, आप करती थी माँ........ सच्च माँ, मैंने आपको बहुत परेशान किया है शायद...... पर अब से मैं बड़ी हो गयी हूँ !! मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ माँ ।  आप बहुत strong (मजबूत) हो माँ..... मैंने अब कुछ भी इच्छा लिखना छोड़ दिया, क्यों कि मेरी अब बस एक ही इच्छा है, आप मुस्कुराती रहो माँ...हमेशा.......!!


सुरभी कियारा की लिखी चिट्ठी पढ़ रोये जा रही थी...!! जब सुरभी ने दूसरी चिट्ठी खोली उसमे लिखा था "पापा आपको लिखी ये मेरी अंतिम चिट्ठी है.... i love you  पापा.. i miss you .." 


ये सब पढ़ रोती हुई जब सुरभी कियारा के बिस्तर के पास आयी तो देखा कियारा सोई नहीं थी बल्कि आँखें तो कियारा की भी भीगी पड़ी थी !! अपने नन्हे हाथो से कियारा माँ के आंसू पोछती खुद भी रो रही थी.....!! और माँ की तो भावनाओ का समुन्द्र सा उमड़ पड़ा था !! जैसे किसी ने आज बरसो बाद जखम पर मरहम लगाया हो .....और साथ ही वो पुराना दर्द फिर से याद आया हो !! 


आज बेटी के हाथ जब माँ के आँसू पोछते भीग रहे थे, माँ ने उन नन्हे हाथो को होंठो से चुम लिया.....!! रोज़ बेटी जिद्द करती माँ से लिपट कर रो पड़ती थी... आज माँ बेटी से लिपट बस रोये जा रही थी !! बेटी के हाथ नाजुक जरूर थे पर आखिर एक मजबूत माँ की परवरिश में पली कियारा में मजबूती और समझदारी की कोई कमी नहीं थी !! उन्ही नाजुक हाथो में सिमटी सुरभी को एक सहारा सा मिला था जैसे आज..... हो भी क्यों ना, 10 साल की बच्ची ने आज सच्च में माँ को थाम लिया था !! आज से दोनों ने एक दूसरे में सहारा ढूंढा था...। कई सालो सुरभी ने  अकेले तनहा काटे थे, आज कोई तो था जो उसकी स्तिथि और उसके मन की बात को समझ रहा था........!! ये पल बस महज़ एक पल नहीं था, एहसास था किसी अपने के साथ होने का, किसी अपने के सहारा होने का........!!




हम सबको कभी ना कभी किसी के सहारे की जरूरत जरूर पड़ती ही है, किसी का सहारा बन पाना अपने आप में निपुणता है..... किसी का सहाना लेने से कोई कमजोर नहीं होता और सहारा देने वाला तो और सक्षम, मजबूत और निपुणता की पहचान होता है....। 


Thank You.......

mann-ki-baat-by-neha

disclaimer : इस कहानी के सभी पात्र (सुरभी,कियारा,केशव और अन्य सभी चरित्र) काल्पनिक है | यहाँ पर लिखी सभी कहानिया किसी भी धर्म, मानवता के विपरीत नहीं है | यह केवल एक मन की बात है जो केवल readers को entertainment (मनोरंजन) करने के लिए है | यहाँ जो भी content है उसके सारे copyright mannkibaatbyneha के है..|


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6 Comments

  1. We cant compare mother's love. Really every mother is super women. 🥰🥰😘😘

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  2. Yaad aai thi, hame bhi jate wakt.
    Per bhula diya tha Bharosa kerke,
    Ki koi to sath hai, meri mithi yaadon ke jajbaton ke sath..........



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