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पछतावा - मन की बात नेहा के साथ

पछतावा - मन की बात नेहा के साथ


अगर खुद को सफल करना है तो खुद को इम्तिहान के लिए बुलंद भी करना होगा, होंसला और काबिलियत स्वयं के अंदर हो, तो उससे बड़ी संतुष्टि दूसरी नहीं हो सकती !!






"आज घर वालो से हमारे बारे में बात करती हूँ प्रतीक, पर पता नहीं कैसी प्रतिकिर्या रहेगी उनकी !! सोच कर ही डर लग रहा है !!" - मोनिका ने प्रतीक को थोड़ी चिंता दिखाते कहा। 
"अरे चिंता करने से क्या होगा मोनिका, तुम एक बार बात करके तो देखो, फिर जैसे होगा सोचेंगे, और मेरे माँ-पापा तो तुम्हारे घर आ कर बात करने के लिए त्यार ही है, तुम एक बार बात घर पर शुरू तो करो" - प्रतीक ने मोनिका को समझाते कहा। 


प्रतीक मोनिका कॉलेज में साथ में होने की वजह से बहुत अच्छे दोस्त तो थे ही साथ ही वो दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार भी करने लगे थे !! पर अब तक घरवालों से इस बारे में कोई बात नहीं की गयी थी, लेकिन अब जब पढ़ाई पूरी होने को थी और कॉलेज में ही placement से प्रतीक की अच्छी नौकरी लग गयी थी तो दोनों को लगा कि घरवालों को इन बातों से अनजान रखना सही नहीं !!


प्रतीक हर तरह से एक काबिल लड़का था, पढ़ाई लिखाई में उत्तम होने की वजह से प्रतीक को बहुत अच्छी कंपनी में नौकरी मिलने से दोनों का घरवालों के सामने अपनी बात रखने का मनोबल बढ़ा था !! और दूसरी ओर मोनिका भी पूरी कोशिश में थी कि उसको भी नौकरी किसी अच्छी जगह मिल जाए !!


आज शाम को पापा के घर आते ही मोनिका ने मौका देखते ही बहुत हिम्मत कर प्रतीक के बारे में बात रखते माँ पापा को प्रतीक के बारे में सब बता दिया !! बात सुन मोनिका के माँ-पापा की तो आँखें फटी की फटी ही रह गयी !! उनके लिए ये बहुत बड़ी बात थी !! और हुआ वही जिसकी उम्मीद थी, माँ-पापा इस बात के लिए हरगिज़ सहमत नहीं थे !! प्रतीक का परिवार बहुत साधारण सा था, उनकी कोई पुश्तैनी या पैतृक जायदाद नहीं थी पर हाँ प्रतीक ही इतना काबिल था कि भविष्य में बहुत कुछ हांसिल कर सकता था !! लेकिन ये सब जान लेने के बाद तो मोनिका के माँ-पापा ने इस रिश्ते के बारे में सोचना तक जरुरी नहीं समझा !!


मोनिका और प्रतीक के बारे में जान लेने के बाद मोनिका के माँ-पापा ने उसके लिए लड़का देखना शुरू कर दिया था, उनको अब एक अचानक मोनिका की शादी की ही चिंता थी !! एक बड़े घर से रिश्ता आया भी...... लड़का एक उच्चे खानदान से था, बाप-दादा की काफी जमीन जायदाद थी.........!! लेकिन जब मोनिका ने सुना कि लड़का कुछ भी नहीं करता, अभी तक कोई काम नहीं करता तो मोनिका ने माँ-पापा को समझाने की बहुत कोशिश की कि प्रतीक ही सही और सक्षम है, पर मोनिका के माँ-पापा को तो पैतृक जायदाद से भरा-पूरा घर ही चाहिए था !!


"लड़का कुछ नहीं करता तो क्या, आगे चल कर तो कुछ काम काज करेगा ही, उनकी इतनी बड़ी पुस्तैनी,पैतृक जमीन जायदाद है कि कभी कोई मुश्किल चिंता न होगी.......!!"- मोनिका के पापा ने मोनिका को समझाते कहा । 
"लेकिन पापा, दूसरी ओर प्रतीक कितना काबिल है, जमीन जायदाद तो प्रतिक अपने दम पर आज नहीं तो कल बना ही लेगा, प्लीज पापा प्रतिक के बारे में एक बार सोचिये तो" - मोनिका ने आँखों में आंसू भर हाथ जोड़ते कहा। 
"पर हमारे समाज में इज्जत तो पुश्तैनी, पैतृक जमीन जायदाद से ही बनती है, प्रतिक से शादी कर, किसी को क्या कहेंगे कि लड़के का घर बार तक अपना नहीं है !! शादी बिआह में जमीन जायदाद तो देखी ही जाती है" - मोनिका के पापा ने इस बार कठोरता से बोलते, अंतिम फैसला सुनाते कहा । 







बेचारी मोनिका की एक ना चली !! और बेबस प्रतिक भी क्या करता, मोनिका के माँ-पापा के खिलाफ कुछ करना प्रतिक के संस्कार ना थे।  और बस दोनों की कहानी और मन की बात मानो अधूरी सी ही रह गयी.......!! जल्दी ही कॉलेज ख़त्म हो गया और प्रतिक अपनी नौकरी में खुद को व्यस्त रखने लगा, मोनिका की शादी कर दी गयी और मोनिका अपने ससुराल दूसरे शहर चली गयी.......!!


अब मोनिका ससुराल में सबके हिसाब से चलने की हर संभव कोशिश करती थी, पर मन ही मन प्रतिक को बहुत याद करती थी !! कभी कभी दोस्तों के व्हाट्सप्प ग्रुप पर प्रतिक की खोज खबर भी मिल जाती थी !! सोशल मीडिया पर प्रतिक की अपलोड की फोटोज देख कर ही खुश हो जाती पर आंखें और दिल भर उठते !! उधर प्रतिक के लिए भी मुश्किल था मोनिका को भूल जाना.......!! लेकिन एक दूसरे को भुला आगे बढ़ने के इलावा कोई रास्ता नहीं था !! 


धीरे धीरे मोनिका अपने ससुराल में रस बस गयी लेकिन पति की कुछ आदतों की वजह से परेशान रहती !! शादी को साल पूरा हो चूका था लेकिन पति ने अब तक भी कोई काम करना शुरू नहीं किया था !! जब भी मोनिका उसे कुछ काम करने के लिए कहती, वो मोनिका को  इतनी जमीन जायदाद होने का रौब दिखाता !! मोनिका को अपनी छोटी छोटी जरूरतों के लिए भी घर के दुसरो पर निर्भर रहना पड़ता.........


किसी ने सच्च ही कहा है, जब भूख लगती है तो खायी तो रोटी ही जाती है, जमीन जायदाद तो बस आँखों के लिए एक नजारा जैसा है !! मोनिका अपने माँ-पापा के आगे भी बहुत बार रो देती थी । जब जब मोनिका अपने मायके आती तो उसके माँ-पापा को मोनिका सब सच्च बताती कि पति के कुछ काम न करने की वजह से घर में झगडे भी हो जाते है, हर छोटी चीज़ के लिए पति भी अपने माँ-बाप पर ही निर्भर है !! जमीन जायदाद बेच कर बैठ कर खाना भला कहा का उपाए है !!


दूसरी और उसी शहर में होने की वजह से मोनिका के माँ-पापा को प्रतिक की सब खबर रहती......... अब तो प्रतिक ने अपनी कमाई से बड़ा सा घर भी ले लिया था, और साथ ही अपने दम पर एक साइड बिज़नेस शुरू करने के लिए ऑफिस भी खरीदा था !! मोनिका के मायके आने की खबर सुन प्रतिक एक दिन मोनिका से मिलने उसके घर भी आया था, और इस बार मोनिका के माँ-पापा ने प्रतिक को रोका नहीं था, शायद वो भी प्रतिक और मोनिका के रिश्ते को तोड़ देने के लिए खुद को गुन्हेगार महसूस करते थे !! पर अब पछताने से क्या भला............ ज़िंदगी बहुत आगे निकल चुकी थी, बस प्रतिक आया और एक दोस्त की तरह मोनिका से मिल चला गया !! आज प्रतिक के लिए मोनिका के माँ पापा के दिल में इज्जत भी थी और आँखों में पछतावा भी !!


आज वो भी समझ गए थे कि काबिलियत स्वयं में होनी चाहिए, दुसरो के बल पर जमा की गयी रकम और जायदाद पर गर्व करना कही की समझदारी नहीं है !! अपनी मजबूती खुद की काबिलियत और होंसले से होती है जो खुद को साबित करती है.......... और दुसरो के नजरो में इज्जत हांसिल करती है..............। 


Thank You......



disclaimer : इस कहानी के सभी पात्र (प्रतिक, मोनिका और अन्य सभी चरित्र) काल्पनिक है | यहाँ पर लिखी सभी कहानिया किसी भी धर्म, मानवता के विपरीत नहीं है | यह केवल एक मन की बात है जो केवल readers को entertainment (मनोरंजन) करने के लिए है | यहाँ जो भी content है उसके सारे copyright mannkibaatbyneha के है..|


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