Bulletprofit

उम्मीद - मन की बात नेहा के साथ

उम्मीद

 

"दूसरे आप पर ऊँगली उठाये और प्रश्न करे, उससे बेहतर होता है अगर समय रहते हम स्वयं पर ऊँगली उठा स्वयं से प्रश्न कर सके तो......" - mann-ki-baat-by-neha

रेणुका अपनी 7 साल की बेटी को गोदी में लिए भाग रही थी, बच्ची की हालत ठीक नहीं लग रही थी !! बेहोश अवस्था में बच्ची रेणुका की बाहों  में बेसुध पड़ी था !! सिर से खून बहे जा रहा था और रेणुका की आँखों से आंसू !! रेणुका जल्दी से हड़बड़ाहट में ऑटो में बैठी और जल्दी से अस्पताल चलने को कहा। बच्ची को सभालती हुई, कभी अपने आंसू पोछती रेणुका जल्दी में अपना फ़ोन भी घर पर भूल आयी थी !! किसी को फ़ोन भी कैसे करती भला !!

 

 



जल्दी ही रेणुका अस्पताल पहुंची और बच्ची को झट से दाखिल कर लिया गया !! रेणुका की 7 साल की बेटी आज खेलते हुए छत से गिर जाने की वजह से जख्मी हुई थी लेकिन रेणुका का फ़ोन घर पर भूल जाने से किसी को खबर देती भी तो कैसे !! हाँ रेणुका को अपने पति आश्विन का नंबर जरूर याद था, रेणुका ने आश्विन से बात करने को अस्पताल के पास बने P.C.O पर जा फ़ोन उठाया ही था कि उसने अपने आपको रोक देना ही सही समझा !! आखिर किस हक़ से रेणुका अश्विम को फ़ोन करती !! अब दोनों अलग जो रहते थे, दोनों ने एक दूसरे के 12 साल के साथ को भुला कर आगे बढ़ने का फैसला लिया था !!


आश्विन अच्छी कंपनी में नौकरी कर जितना कमाता था उसका आधा तो नशे और शराब में बर्बाद कर देता था !! इन्ही वजह से अब झगडे इतने बढ़ गए थे कि साथ रहना असंभव सा हो गया था !! रेणुका ने लाख कोशिशे की थी कि आश्विन की बुरी आदते छुड़वा सके पर शायद आश्विन को रेणुका और अपने परिवार से ज्यादा प्यार बुरी आदतों से था इसीलिए तो शायद आश्विन अब रेणुका से अलग रहने को भी त्यार था पर नशे से अलग होना उसे कहा मंजूर था !! 


रेणुका और आश्विन को अलग रहते अब 2 साल हो चुके थे, लेकिन आज तक रेणुका ने divorce file (तलाक) नहीं किया था, क्यों कि बच्चो की वजह से रेणुका ने आज भी कही न कही आश्विन के बदल जाने की उम्मीद रखी थी !! रेणुका को आज भी ये ही लगता था कि शायद आश्विन को कभी तो परिवार का मोल पता चले और वो वापिस आ जाए !! रेणुका आश्विन को अभी भी दूसरा मौका दिए हुए थी !! रेणुका ने फ़ोन हाथ में लिए फ़ोन लगाने से पहले कई बार सोचा लेकिन फ़ोन लगाने की हिम्मत न हो पायी !! 

इन 2 सालो में आज तक रेणुका और आश्विन की मुश्किल से 3-4 बार ही बात हुई थी जो बात कम, झगड़ा ज्यादा थी !! नशे की हालत में आश्विन कई बार रेणुका को फ़ोन कर खरी-खोटी सुनाता और फ़ोन रख देता !! इसलिए रेणुका ने कभी आश्विन को फ़ोन किया भी नहीं था !!


पर ऐसी घडी में जब बेटी की हालत नाजुक थी तो रेणुका का फ़र्ज़ भी था आश्विन को हालात के बारे में आगाह करना, आखिर बेटी तो आश्विन की भी है !! ये ही सोच फिर रेणुका ने आश्विन को फ़ोन मिला ही दिया, रात का समय था, आश्विन किसी अनजान नंबर से फ़ोन देख कई बार फ़ोन काटता ही रहा पर रेणुका भी रोते हुए जज़्बातो में बहते कई बार फ़ोन किये जा रही थी कि इस बार आश्विन ने फ़ोन उठाया !! 

रेणुका को फ़ोन पर आश्विन की आवाज सुन नजाने क्या हो गया, बेटी की नाजुक हालत देख टूट चुकी रेणुका, शायद आश्विन में आज एक पति का सहारा ढूंढ रही थी !! रेणुका ने रोते हुए हेलो बोला और सामने से आश्विन की आवाज सुन रेणुका सेहम सी गयी, आश्विन की आवाज आज भी नशे की हालत में धुत थी, पीछे से पार्टी और गानो की आवाजे आ रही थी !! रेणुका समझ गयी थी कि अभी की हुई बात का कोई फायदा नहीं, शायद मुश्किलें और बढ़ जाने वाली थी !! 

आखिर रेणुका ने बिना कुछ बताये फ़ोन रख दिया !! आश्विन तो समझ भी ना पाया कि फ़ोन रेणुका का था !!
आखिर रेणुका ने किसी के साथ की उम्मीद न करते हुए खुद के आंसू पोछे और कदम को आगे बढ़ाया !! इस नाजुक घडी में भी रेणुका ने अकेले संघर्ष किया !! अगले कई दिनों तक बेटी को अस्पताल में रखा गया और अब बेटी की हालत संभल चुकी थी !! रेणुका इस घटना से एक बार तो कमजोर जरूर पड़ी थी पर आज इन संघर्ष के बाद पहले से ज्यादा मजबूत खड़ी थी !!


रेणुका ने इन 2 सालो में कई मुश्किल घडी को अकेले पार किया था लेकिन इस घटना में शायद उसने कुछ पलों के लिए खुद को नाजुक पाया और पति का साथ ढूँढना चाहा पर आज इस दुखत घडी से भी अकेले उभर कर खड़ी रेणुका पहले से भी ज्यादा सक्षम थी !!


शायद पति से लगाई बची खुची उम्मीद भी आज ढेर हो गयी थी, पर मन शांत था !! मन में दुःख केवल इस बात का था कि एक बार फिर से आश्विन ने नशे की वजह से अपने परिवार का साथ खो दिया था, इसी नशे की वजह से आज फिर शायद आश्विन अपना फ़र्ज़ निभाने के काबिल नहीं था !! रेणुका की नज़रो में आश्विन अब केवल एक बेचारा था, जो सब कुछ खो चूका है लेकिन उसे एहसास तक नहीं, जो रास्ता भटक गया है लेकिन शायद उसे घर वापिस आने की ख्वाइश भी नहीं !!

 


 


एक बार फिर रेणुका की उम्मीदे टूटी थी पर होंसला नहीं !! कुछ ही दिनों में बेटी स्वस्थ हो घर भी आ गयी और अब जिंदगी फिर से पटरी पर आ गयी थी लेकिन पटरी पर नहीं थी तो बस आश्विन की जिंदगी जिसका जिम्मेदार शायद वो खुद था और इन बातों को समझने के लिए पहल भी आश्विन को ही करने की जरूरत थी !!


आखिर जिंदगी में महत्वपूर्ण चीज़ो को हम हमेशा पहल देते है, पर शायद हमे समझने की जरुरत है कि जिसे हम महत्वपूर्ण समझ रहे है, क्या वो सच्च में महत्वपूर्ण है भी..............!!  

Thank You...


disclaimer : इस कहानी के सभी पात्र (रेणुका, आश्विन और अन्य सभी चरित्र) काल्पनिक है | यहाँ पर लिखी सभी कहानिया किसी भी धर्म, मानवता के विपरीत नहीं है | यह केवल एक मन की बात है जो केवल readers को entertainment (मनोरंजन) करने के लिए है | यहाँ जो भी content है उसके सारे copyright mannkibaatbyneha के है |


Post a Comment

4 Comments

हालातों की सीख़ - मन की बात नेहा के साथ