
हालातों की सीख़ - मन की बात नेहा के साथ
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाय…
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाये महसूस होना स्वाभाविक है लेकिन फिर उन्ही परिस्तिथियों से उभर क…
अबला नहीं सबला "दुसरो की उलझन को सुलझाने के लिए उन्हें समझाना तो कोई भी कर लेता है, पर मुश्किल तो अपने अंदर चल रही उलझनों के लिए खुद को समझा प…
कुछ परिस्तिथिया अग्नि-परीक्षा जैसी होती है, जिन्हे पार करने की हिम्मत करनी ही पड़ती है..... कभी कभी बेहतर भविष्य कुछ अग्नि परीक्षाओं से हो कर गुजरता …
जो जैसा हमेशा से होते आया है उसे वैसे ही चलते रहने देना आसान है लेकिन मुश्किल और कठिनाई तो बदलाव को स्वीकारने में होती है और बदलाव के लिए एक पहल करना…
ज़िंदगी मुस्कुरा ही पड़ी कई बार हालात को हारता देख हम भी हारने लगते है...... और आगे के हालात सुधारने की हिम्मत भी नहीं दिखा पाते...!! परन्तु ज़िंदगी का …
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाय…
Copyright (c) 2020-2021 mann ki baat by neha All Right Reserved
Social Plugin