सच्चे रिश्तो को महंगे उपहार से नहीं बल्कि प्यार और अपनेपन से ही बाँधा जा सकता है.....!! रिश्तो को अपना समय देना सबसे बड़ी चीज़ है जो हर रिश्ते की एहम जरुरत है..........।
"जी, आपका खाना निकला है टेबल पर" - राधिका ने अपने पति धनंजय जी को आवाज लगाते हुए कहा।
पर धनंजय जी तो हर बार की तरह फ़ोन पर व्यस्त थे !! कुछ समय बाद राधिका ने फिर से देखा कि अब तक धनंजय जी ने सामने पड़ा खाना देखा भी नहीं !!
"जी, आपका खाना कब से निकला है, अब तो ठंडा भी हो गया होगा" - राधिका ने फिर आवाज लगाते हुए कहा।
धनंजय जी एक बड़े कारोबारी है, उम्र ये ही कुछ 47 साल होगी । हमेशा व्यस्त रहने वाले धनंजय जी आज भला एक बार में बात कैसे सुन लेने वाले थे !! पत्नी राधिका को भी धनंजय जी के ऐसे व्यवहार की आदत सी पड़ गयी थी !! फिर भी राधिका हमेशा पति धनंजय जी को ढेर सम्मान और इज्जत देती, बल्कि आज तक राधिका ने पति को कभी नाम ले कर भी नहीं बुलाया था, अपने संस्कारो में जीती राधिका स्वभाव से बहुत सरल है !!
अपने दम पर एक नहीं बल्कि दो-दो कारोबार खड़ा कर देने वाले धनंजय जी का अब काफी नाम है !! कभी छोटी सी कंपनी में नौकरी करने से शुरुवात की थी धनंजय जी ने और आज दो-दो कारोबार के मालिक है.........!! ये सफर इतना आसान ना था !! जब धनंजय जी ने नौकरी करने की शुरुवात की थी तब बहुत ही हलकी उम्र और नासमझी से भरे थे पर कुछ बड़ा कर दिखाने की लगन और सीखते रहने का जज्बा था धनंजय जी में। उस समय शादी भी नहीं हुई थी। धनंजय जी ने कई साल संघर्ष वाला समय देखा था !!
आखिर एक लम्बे संघर्ष के बाद अब कई सालो से कारोबार खूब अच्छा जम गया था, धनंजय जी भी अब एक मुकाम और नाम पा कर खूब खुश थे, लेकिन संतुष्ट अभी भी नहीं...........!!
बस कारोबार को और सफल करने के कोशिश में धनंजय जी और भी ज्यादा व्यस्त रहते, जिस वजह से घर-बार और पत्नी, बच्चो को समय ही कहा दे पाते थे !! उन्हें तो घर की कई बातें पता भी नहीं रहती, बच्चो की ज़िंदगी में क्या चल रहा है, राधिका की ज़िंदगी में क्या चल रहा है...... इन बातों की खबर ही कहा रखते वो !! हाँ कारोबार की एक खबर भी छूट नहीं पाती थी धनंजय जी से !!
कही न कही घरवालो को अब धनंजय जी की कमी सी खेलने लगी थी !! घर पर हो कर भी ऐसा लगता जैसे वो घर पर नहीं है !! सबके साथ होते हुए भी मजूदगी ना-मौजूदगी जैसी ही थी !! पत्नी राधिका दिन भर घर के कामो में खुद को व्यस्त रखती, बच्चे पढ़ाई में व्यस्त होते और धनंजय जी तो सबसे ज्यादा व्यस्त रहते......!!
आज धनंजय जी और राधिका की शादी की 25वी सालगिरह है और इसीलिए राधिका सुबह सुबह उठ कर मंदिर भी हो आयी । जब राधिका मंदिर से वापिस आयी तो धनंजय जी हॉल में ही बैठे थे ..........!!
"आज कुछ ख़ास है क्या राधिका, कोई त्यौहार है क्या जो मंदिर सुबह सुबह जाना हुआ !!" - धनंजय जी ने राधिका से अखबार पढ़ते हुए पूछा।
"नहीं, वो ऐसे ही" - राधिका ने जवाब दिया !! राधिका समझ गयी थी कि कामो में इतना व्यस्त रहने वाला कारोबारी पिछले कई सालो की तरह इस बार भी सालगिरह भूल गया था !! और राधिका की भी पता नहीं क्यों इच्छा भी नहीं हुई की वो बताये !!
पर राधिका कमरे में आ कर अपनी और धनंजय जी की पुरानी फोटो जो कमरे की दिवार पर कई सालो से लटकी थी, उसे देख रोने लगी !! वो पुराने दिन को याद कर राधिका के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे !! वो दिन भी क्या दिन थे, जब धनंजय जी एक साधारण से कारोबारी हुआ करते थे । घर परिवार की तरफ अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान दिया करते थे, पत्नी बच्चो के साथ समय बिताने के लिए उत्साहित रहते थे !! राधिका उन दिनों को बहुत याद कर रही थी, जब धनंजय के साथ मिल कर कोई भी त्यौहार हो, जन्मदिन हो, या सालगिरह हो, मिल कर मनाया जाता था !!
कहा गए वो दिन सोच राधिका बस रोये जा रही थी कि बेटी काव्या ने माँ को यूँ रोते देखा और समझ गयी कि माँ के दिल पर क्या बीत रही है आखिर ये अकेलेपन का एहसास इतना जेह्रीला जो होता है !! अब बेटी काव्या समझ गयी थी कि उसे क्या करना है !! जब धनंजय जी अपने काम के लिए ऑफिस जाने के लिए निकल ही रहे थे कि बेटी काव्या ने उन्हें कॉलेज छोड़ देने को कहा और उनकी कार में जा बैठी !! कार चलते ही बेटी ने "happy anniversary (शादी की सालगिरह की मुबारक)" बोल धनंजय जी को हैरान कर दिया !! अब धनंजय जी को याद आया कि आज तो शादी की सालगिरह है और इसीलिए राधिका सुबह मंदिर भी गयी थी !!
इतना ही नहीं बेटी काव्या ने धनंजय जी को माँ के कमरे में अकेले रोने वाली बात भी बताई और साथ ही धनंजय जी को वो सब भी याद करवाया जो शायद धनंजय जी व्यस्त होने में कही भूल ही गए थे !!
"पापा, क्या आपका कारोबार में इतना सफल होना इसका श्रेय माँ को नहीं जाता !! क्या माँ ने आपके लिए इस कारोबार के लिए कोई संघर्ष नहीं किया है !! अगर आज आप इतने सफल है तो क्या माँ ने इन चीज़ो को हांसिल करने में आपका साथ नहीं दिया है !! माँ ने भी आपको और इस कारोबार को सफल करने में एहम भूमिका निभायी है पापा !! तो आज आप वो सब भूल माँ को अकेला कैसे कर सकते है भला !! माँ ने आपको शादी के 25 साल दिए है पापा जो केवल समय ही नहीं माँ ने इन 25 सालो में खुद को दे दिया है !! खुद को समर्पित किया है !! जब आपको माँ के साथ की जरुरत थी तो माँ ने बखूबी आपका साथ निभाया, आज माँ को आपकी जरुरत होती है पापा तो आपके पास शायद समय कम पड़ जाता है !!" - बेटी काव्या ने पापा को समझाते हुए कहा।
काव्या ने जैसे पापा की आँखें खोल दी थी, ये सच्च ही तो है कि राधिका ने नजाने कितना कुछ झेला था ताकि धनंजय जी एक सफल कारोबारी बन सके !! घर परिवार और दो बच्चो को अकेले संभाला ताकि धनंजय जी अपना कारोबार आसानी से संभाल सके !!
धनंजय जी को एहसास हुआ कि राधिका को कितना अकेला सा कर दिया था उन्होंने ......!! धनंजय जी ने हर बार की तरह ऑफिस से एक महंगा गिफ्ट राधिका के लिए सालगिरह के उपहार के तौर पर भेज दिया था !! हर बार भी धनजय जी ये ही तो करते थे जब उन्हें याद आ जाता कि आज सालगिरह या जन्मदिन है तो वो ऑफिस में बैठे हुए ही कुछ महंगा उपहार घर पर आर्डर कर देता......!! आज का उपहार एक महंगा नेकलेस था !! पर राधिका को अब ये महंगे उपहार ख़ुशी नहीं देते थे !! राधिका को धनंजय जी का साथ चाहिए था..... उनका समय चाहिए था !!
लेकिन इस बार बेटी काव्या ने धनंजय जी को जो बातें याद दिला कर एहसास करवाया था, धनंजय जी अब समझ चुके थे कि उन्हें क्या करना है, शाम होते ही धनंजय जी अब घर के लिए निकल चुके थे !! दरवाजे की घंटी बजते ही जब राधिका ने दरवाजा खोला तो सामने धनजय जी को इतनी जल्दी घर आया देख हैरान हो गयी !! कामो में व्यस्त रहने वाले धनंजय जी देर रात ही घर आया करते थे !!
धनंजय जी ने आते ही राधिका और बच्चो को त्यार होने के लिए कहा और सामान पैक भी करने के लिए कहा !! धनंजय जी ने 2 दिन की छुट्टियों का प्लान जो किया था, राधिका ये सब सुन हैरान थी !! बच्चे तो मानो खूब उत्साहित हो उठे !! काव्या अपने पापा का बदला रूप देख ख़ुशी महसूस कर रही थी !!
धनंजय जी ने राधिका के त्यार हो जाने के बाद जब अपने हाथो से वो कीमती नैकलैस उनके गले में डाला तो राधिका का चेहरा और खिल उठा !! वो ख़ुशी जाने कहा खो गयी थी राधिका के चेहरे से जो आज कई सालो बाद फिर से दस्तक दी थी !! बच्चो और पत्नी के चेहरे की ख़ुशी देख कर धनंजय जी को भी ये एहसास हो रहा था कि ऐसी ख़ुशी तो शायद बड़ी से बड़ी डील (deal) हो जाने पर भी महसूस न हुई होगी !!
आखिर कारोबार और परिवार में संतुलन बनाये रखने से ही इंसान संतुलित रहता है !! कभी कभी महंगे उपहार दे देने से रिश्तो की दूरिया नहीं भरती............ रिश्तो को तो समय, अपनेपन और प्यार से सींचा जाता है तभी तो उनकी जड़े गहरी और फल मीठे होते है.........।
10 Comments
Exactly......
ReplyDeleteThank you bhabhi...
DeleteThank you rimpy...
ReplyDelete😊 superb 😊
ReplyDeletethank you bhai........
DeleteNice
ReplyDeleteAmazing write up dear
ReplyDeletethank you.....
DeleteVery nice 👌
ReplyDeletethank you dear...
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