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अधूरी ख्वाइश - मन की बात नेहा के साथ (पार्ट- 2)

कहानी के पहले भाग को विस्तार से पढ़ने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे.......

अधूरी ख्वाइश - मन की बात नेहा के साथ (पार्ट- 1)


अब तक आपने पढ़ा कि अंकिता और दिशांत बस सोशल मीडिया के द्धारा एक दूसरे को जानने लगे और एक दूसरे के करीब आ गए !! एक दूसरे को बिना कभी मिले भी, एक करीबी रिश्ता सा जुड़ चूका था !! अब एक दूसरे को पसंद करने लगे थे दोनों !! पहले तो दोनों के शहर अलग थे लेकिन अंकिता की जॉब अब दिशांत के शहर मुंबई में लगने से दोनों बहुत खुश थे और बस आज रात का इंतज़ार था, जिसके बाद कल दोनों की पहली मुलाकात होने वाली थी !!

अब आगे...................




अंकिता कल के इंतज़ार में बस घडी की सुइयों को देखते हुए रात बीता रही थी.... न जाने कब आँख लगी और झट से सुबह हो गयी......। अंकिता और दिशांत एक रेस्टॉरेंट में मिलने वाले थे । अंकिता उठते ही त्यार हुई, और निकलने से पहले दिशांत को अपने निकलने की खबर दी । आज दिन तो ख़ास था ही और मौसम भी कुछ कम नहीं था, मुंबई की बारिश और ठंडी हवाएं...... मानो सब कुछ परफेक्ट सा था !! ऑटो में बैठी अंकिता मुंबई की बारिश और ठंडी हवाओ को महसूस करती दिशांत को मिलने की ख़ुशी में बहुत खुश थी !!  

जैसे ही ऑटो से उतर अंकिता रेस्टॉरेंट की ओर बढ़ी कि एक कार अंकिता के पास से हो कर तेजी से निकली और अंकिता के कपड़ो पर खड़े बारिश के पानी के छींटे आ पड़े !! अंकिता जितनी चाह से त्यार हुई थी उतनी ही अभी परेशान भी हो चुकी थी !! अब करे तो क्या करे........ सामने रेस्टॉरेंट और घर बहुत दूर.......!! वापिस भी जाने का सोचा ही कि सामने से दिशांत ने अपने पहुंच जाने का मैसेज भी कर दिया !!

गंदे पानी के छींटे को अंकिता हलके हाथ से पोछती हुई रेस्टॉरेंट में दाखिल हुई कि नज़रे चारो और बस दिशांत को ढूंढ रही थी !! सामने से एक लम्बा सा लड़का हाथ हिलाते हुए अंकिता को देख खड़ा हो गया.....!! अंकिता के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी, दिशांत सामने जो खड़ा था !! पर अपने कपड़ो पर हलके छींटो को छुपाती, संकोच करती अंकिता दिशांत के टेबल पर पहुंची......

वो पल ख़ास था कहना बहुत छोटी बात होगी, वो पल ही नहीं उस पल की हर बात ख़ास थी......!! एहसास से जुड़ा वो पल बस अंकिता और दिशांत महसूस कर सकते थे !! अपने कपड़ो पर गंदे पानी के छींटे देख अंकिता घबराई सी थी पर दिशांत को तो जैसे इन चीज़ो से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था, दिशांत को तो बस ख़ुशी थी कि आज अंकिता उसके सामने है.....!! अंकिता ने क्या पहना है, वो कैसी दिखती है, दिशांत का प्यार इन चीज़ो का मोहताज़ नहीं था। ये बात अंकिता भी समझ रही थी और देखते ही देखते अंकिता भी अब काफी सहज (comfortable) हो चुकी थी......। 




दोनों की मुलाक़ात छोटी सी थी, पर बहुत एहम थी !! दिल की बातों को आँखों में पढ़ा जा सकता था पर लफ्ज़ो में ब्यान अभी भी ना दिशांत ने किया था और न ही अंकिता ने....!!  नज़रो की बातें नज़रे समझ रही थी !! उस दिन की मुलाकात के बाद दोनों वीकेंड (weekend) पर कुछ देर के लिए जरूर मिलने लगे । आखिर कुछ महीने बीत गए और आज जब अंकिता दिशांत को मिलने पहुंची तो सामने दिशांत फूलो से भरा गुलदस्ता लिए खड़ा था, जैसे ही अंकिता हस्ते हुए दिशांत के पास गयी कि दिशांत अपने घुटनो पर बैठ अंकिता के लिए लायी अंगूठी निकाल अंकिता से उसका हाथ अपने हाथ पर रखने का इशारा करते मुस्कुराने लगा........!!

दोनों बस मुस्कुरा रहे थे........... अंकिता कुछ घबराई सी भी थी........... आज दिशांत उसे यूँ purpose करेगा, सोचा भी नहीं था !! 

ये लम्हा.......... ख़ास ही नहीं........... बहुत ख़ास था......!!

जैसे ढेरो खुशिया अचानक बरस रही हो....................

अंकिता ने भी थोड़ा शर्माते हुए अपना हाथ दिशांत के हाथ में दिया और दिशांत ने अंगूठी पहना आज ये अनजान रिश्ता और भी मजबूत कर दिया था। दोनों की ख़ुशी अपार थी......

यूँ ही कुछ महीने बीत गए........ पर नजाने क्यों आज कल दिशांत कुछ परेशान रहने लगा था, अंकिता भी समझ नहीं पा रही थी !! कई बार पूछने पर भी दिशांत ने हर बार अंकिता को टाल दिया !! अब दोनों अपने रिश्ते की मंजूरी घर वालो से भी चाहते थे पर बात घरवालों के सामने कैसे रखे ये आसान नहीं था !!

कई दिन बीतते गए और दिशांत का स्वभाव बहुत उखड़ा सा रहने लगा, जाने क्या चिंता थी या क्या परेशानी थी, जो दिशांत अंकिता को भी नहीं बता रहा था !! अंकिता भी दिशांत के लिए खूब परेशान सी रहने लगी कि एक शाम अंकिता को एक अनजान नंबर से फ़ोन आया, फ़ोन पर बात करके पता चला कि फ़ोन दिशांत की बहन मानसी का था !! 

बहन से बात करते अंकिता के सामने अब कई उलझे सवाल सुलझ गए थे, दिशांत के परेशान रहने की वजह अब अंकिता समझ गयी थी ।  बहन ने बताया कि दिशांत ने कुछ दिन पहले ही अंकिता के बारे में घर पर माँ-पापा से बात की पर माँ-पापा को अंकिता के साथ दिशांत का रिश्ता मंजूर नहीं था, माँ-पापा इस रिश्ते के सख्त खिलाफ है, जिस वजह से दिशांत अब बहुत परेशान रहने लगा है और इसी वजह से घर का माहौल भी कुछ ठीक नहीं है !! बल्कि मानसी ने बताया कि दिशांत ने कई दिनों से घर पर माँ-पापा से ठीक से बात तक नहीं की है !!  मानसी का अंकिता को फ़ोन करके ये सब बताना और दिशांत के उखड़े रहने का कारण पता चलना, अब अंकिता पूरी तरह परेशान थी !!  

अब अंकिता समझ चुकी थी दिशांत के मन की बात और उलझनों को, न घर वालो के खिलाफ एक बेटा जा सकता था, न अपने प्यार को यूँ छोड़ अलग रास्ते पर चल सकता था !! फ़ोन काटते ही अंकिता के आँखों में आँसू भरे थे !! दिशांत ने ये बात शायद इसलिए अंकिता को नहीं बतायी क्युकि दिशांत अंकिता को परेशान नहीं देखना चाहता था !! 

पर अब क्या.............!!

ऐसे रिश्ते का भविष्य क्या जो घरवालो को ही एक दूसरे के खिलाफ करदे...........!!

मानो आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया था !! 

अंकिता नहीं चाहती थी कि एक नए रिश्ते की शुरुवात पुराने रिश्तो को ख़त्म करके हो, पुराने रिश्तो को मिटा कर नए रिश्ते की नीव रखना अंकिता को सही नहीं लगा !! जैसे आज कई सपने टूट चुके थे, दिशांत के मन में अपने लिए इतना प्यार देख अंकिता दिशांत का सम्मान और भी करने लगी थी पर काश ये प्यार सफल हो पता कह बस गम के सागर में मानो डूब सी गयी थी अंकिता !! 

बहुत सोचने के बाद अंकिता ने दिशांत की मुश्किलें आसान करने का फैसला किया और इस फैसले को साकार करने के लिए अब अंकिता खुद को दिशांत से दूर कर लेना चाहती थी ताकि दिशांत को कोई दुविधा न रहे !! अंकिता नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से दिशांत को उसके माँ पापा या अंकिता में से किसी एक को चुनने जैसी मुश्किल जंग से जूझना पड़े !! 

बस उस दिन अंकिता ने ये कठिन फैसला लिया ही नहीं बल्कि कर भी दिखाया, अंकिता ने एक अचानक दिशांत के सामने अपना व्यवहार ही बदल दिया और दिशांत से मिलना जुलना बहुत कम ही नहीं बल्कि ना के बराबर कर दिया.....। जल्दी ही अंकिता ने मुंबई शहर को भी छोड़ने का फैसला करते अपनी जॉब दूसरे शहर में ढूंढ लेना सही समझा !! अब दिशांत से दूरी बना ली थी अंकिता ने !! 




इतना ही नहीं, मुंबई शहर को छोड़ने के बाद अंकिता ने अपना नंबर तक बदल दिया, दिशांत की लाख कोशिशों के बाद भी अंकिता ने अपना फैसला नहीं बदला !! दिशांत से बात किये आज अंकिता को 2 साल बीत चुके है, लेकिन आज भी दिशांत दिल, दिमाग और उसके  ख्यालो में उतना ही बस्ता है जितना की पहले !! और आज तक दिशांत इन बातों से अनजान, खुद से कई प्रश्न करता है कि आखिर अंकिता ने ऐसा क्यों किया............!!

आखिर क्यों.................!! 

दिन के शोर के बाद जब रात का सन्नाटा अंकिता को टटोलता है तो मन की आवाज अंकिता को आज भी झकझोर के रख देती है, दिल की बात आँखों तक आ कर बस बह जाती है.......... अधूरी ख्वाइश की कसक तो आज भी ताज़ा है......!!

सच्च, कुछ ख्वाइशे शायद सिर्फ दर्द देती है............. और हमे अंदर से तोड़ कर रख देती है........। 

कुछ किस्से और ख्वाइशे अधूरी ही सही, उनमें दर्द ही सही........ दिल उन्हें स्वीकारे या ना स्वीकारे, दिमाग को उन्हें स्वीकारना ही पड़ता है.............!! 


Thank You............

mann-ki-baat-by-neha

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हालातों की सीख़ - मन की बात नेहा के साथ