निशा एक मध्य वर्ग परिवार से थी और उसके मायके में बस उसके माँ पापा और उसके चाचा जी रहते थे, उसके पापा और चाचा रिटायरमेंट के बाद अब साथ में ही रहते थे | इसी बात की चिंता निशा को हमेशा रहती थी की माँ पापा मायके में अकेले थे | निशा के भईया भाभी जॉब के सिलसिले में दूसरे शहर रहते थे और छोटा भाई भी काम की वजह से दूसरे शहर में !! छोटी बहन की भी तो अब शादी हो गयी थी |
माँ पापा कभी अपनी परेशानी बताते ही नहीं थे, पहले छोटी बहन से निशा को हाल खबर मिलती रहती थी | अब तो जब निशा हाल चाल पूछती - " सब अच्छा है " बोल दिया जाता !! कभी कभी तो परेशानी के बीत जाने पे निशा को परेशानी का पता चलता !!
पर आज निशा अपने 4 साल के बेटे के साथ मायके जाने की तयारी करते हुए बहुत खुश थी | ट्रैन के खाने से बचने के लिए निशा ने खाना पैक किया, सब सामान भी पैक था |
बाहर से कार ड्राइवर के हॉर्न की आवाज आयी जो उनको स्टेशन तक छोड़ने के लिए बाहर खड़ा था |निशा बेटे अयान के साथ ट्रैन में बैठते ही बचपन की खट्टी मीठी यादों में खो गयी, बस ऐसा लग रहा था मानो ट्रैन उड़ कर जल्दी से क्यों नहीं पहुंच जाती |
सफर बीता, और निशा ट्रैन से उतर स्टेशन पे खड़ी थी कि वही स्टेशन पर पापा को देख निशा की आँखे भर आयी | पापा कि आँखें भी बेटी और नाती को देख चमक उठी !!
घर पहुंचते ही निशा को देख माँ कि ख़ुशी आँखों से झलक उठी | चाचा जी की ख़ुशी भी उनके चेहरे से साफ़ झलक रही थी | बस निशा को वो घर बहन भाइयो के बिना खाली सा लग रहा था !!अभी पहुंचे कुछ ही समय हुआ था कि माँ के फ़ोन पर भईया भाभी का वीडियो कॉल आया, निशा से बात हुई | माँ पापा को बहुत देर तक भईया-भाभी, पोते नक्श से बात करते देख निशा को अच्छा लग रहा था | अगले दिन से निशा ने देखा कि भईया भाभी दिन में कई बार वीडियो कॉल करते थे और सबकी दिन में कई बार एक दूसरे से बात होती थी | भईया भाभी दूर ही सही पर माँ पापा का बहुत ख्याल करते थे | मीलो की दूरियों को कम करने में वीडियो कालिंग किसी वरदान से कम नहीं है !! निशा समझ पा रही थी कि भईया भाभी दूर सही पर ये दूरिया बस मीलो कि है दिलो कि नहीं | और उसको ये भी एहसास हुआ कि वो यूँ ही चिंता कर रही थी, भईया भाभी माँ पापा से आज भी उतने ही जुड़े है जितना पहले !!
2-3 दिन बाद भईया भाभी ने बेटे नक्श के साथ आ कर निशा को सरप्राइज दिया !! वो भी तो निशा और अयान से मिलने के लिए उत्साहित थे !! सबको देख निशा बहुत खुश हुई | नक्श का बुआ कह कर निशा के गले लगना और अयान को भी मामा-मामी का खूब प्यार मिल रहा था | शाम तक छोटी बहन भी कुछ दिन के लिए घर आयी,दोनों बहने भी अब कहा मिल पाती है !!
सब भाई बहन फिर से इकठ्ठा थे, मानो बचपन फिर से जी उठा हो !! नक्श और अयान की मस्ती सबके चेहरे की रौनक थी | भाभी और माँ का खूब बातें करते करते साथ में काम करना, भाई बहनो की मस्ती में भाभी का जबरदस्ती माँ को शामिल कर लेना, और माँ का भाभी को वो बचपन के हंसी मजाक के किस्से सुनाना !! पापा के समय पर दवाई न लेने पर भाभी का उनको हक़ से डांट भी देना और फिर पापा का एक बच्चे जैसा मुस्कुराते हुए वहां से धीरे से चले जाना !! सब पहले जैसा ही तो था !!
निशा को एहसास हो रहा था कि माँ पापा भईया भाभी सब एक ही तो है, दूरिया रिश्तों को कमजोर नहीं बना सकती !! दिल का प्यार दूरिया देख कभी कम नहीं हो सकता !! आज निशा को लग रहा था की उसकी चिंता व्यर्थ थी और इस बात का एहसास करते उसका मन बहुत ख़ुशी महसूस कर रहा था | अब वो निश्चिन्त थी |
देखते ही देखते 10 दिन बीत चुके थे और आज सुबह भईया भाभी और नक्श के जाने की तयारी थी और शाम तक निशा के जाने की !! भईया भाभी के जाते ही माँ थोड़ा उदास थी और नक्श के लिए दादी के आंसू गिर ही पड़े !! परन्तु ये आंसू भी तो प्यार का प्रतीक ही तो है !!
शाम तक निशा के जाने का समय हुआ पर आज निशा बहुत सन्तुस्ट थी और अब उसकी सब चिंताए ख़तम थी | मन की उलझन सुलझ गयी थी !! जाते जाते निशा की आँखें झलक जरूर उठी पर ये उसकी मायके से तसल्ली भरी वापसी थी !!
Thank You
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3 Comments
Excellent!
ReplyDeleteSuperb Neha, तेरी कहानी दिल को छू गई।
ReplyDeleteThank u 😊
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