सपने तो हम सब देखते है - एक सपना ऐसा जो गहरी नींद में आये और एक सपना ऐसा जो आपको सोने ही न दे, जैसे किसी चीज़ की इतनी इच्छा जिसके पूरा होने के लिए आप तड़प रहे हो !!
बस एक ऐसा ही सपना देख रही थी अनु, जो उसको सोने नहीं दे रहा था!! दरअसल अनु कि शादी को 8 साल बीत गए थे लेकिन अभी भी अनु माँ बनने के सुख से वंचित थी| अनु ने कई डॉक्टरों को दिखाया था परन्तु फिर भी अनु का माँ बनने का सपना अभी तक बस एक सपना ही था!! डॉक्टरों के मुताबिक़ अनु की medical condition ऐसी थी जिसकी वजह से अनु को बच्चे का सुख मिल पाना असंभव जैसा था|
अब अनु दिन पर दिन नकारात्मक होती जा रही थी| जिंदगी में एक सूनापन सा महसूस करने लगी थी| बस बच्चे के लिए दिन रात सोचना और सोच के दुखी होना, ये ही उसकी दिनचर्या बन गयी थी!! अंदर ही अंदर घुट सी रही थी अनु| कुछ रही बची कसर लोगो के सवाल से पूरी हो जाती थी - " अब बेबी प्लान कर लेना चाहिए तुम्हे" !! और जिन लोगो को अनु कि medical condition का पता था वो दिलासा भी कुछ ऐसा देते जैसे अनु के जख्मो में नमक छिड़क दिया हो - "भगवान् सबको बच्चे का सुख दे, किसी के साथ ऐसा ना करे" जैसे बोल अनु को दुखी कर जाते!! ये सब सुन के अनु को लगता कि उसी के साथ ऐसा क्यों हो रहा है|
दिन पर दिन सूखती जा रही थी अनु!! कहते है ना कि "घर को संभालने वाली एक औरत ही होती है" लेकिन वो औरत ही सूखने लगे तो घर कैसे हरा भरा रह सकता है| अनु के मुरझाये चेहरे से मानो पूरा घर ही मुरझा गया था| घर जैसे बेजान सा था अब| अनु का चेहरा देख उसका पति धीरज भी मायूस हो जाता| अब धीरज से भी अनु की तकलीफ देखि नहीं जा रही थी|
एक दिन पड़ोस की सुलभा भाभी बाजार जाते हुए अपने बच्चे को अनु के पास छोड़ गयी, जो अक्सर अपने बच्चे को बाजार जाते हुए अनु के घर छोड़ जाया करती थी| अनु भी उस बच्चे के साथ मानो सब दुःख भूल गयी और बच्चे की खिलखिलाहट में मगन अनु खूब खिलखिला कर हस पड़ी, उसी समय धीरज ऑफिस से लौटा और अनु को यूँ हस्ते देख जैसे उसमें जान आयी हो!! जैसे घर ही झूम उठा हो!! धीरज को बस ऐसी ही अनु चाहिए जो पहले जैसे हसने लगे, घर की जान थी अनु| अनु को बच्चे के साथ खिलखिलाते देख धीरज को अब इस समस्या का समाधान मिल गया था!!
धीरज ने एक बच्चे को गोद लेने का मन बना लिया था| जल्दी ही धीरज ने एक अनाथालय जा सभी formalities को पूरा किया परन्तु ये बात अभी अनु को नहीं पता थी| कुछ दिन बाद जब बच्चे को घर लाना था तब धीरज ने अनु से अपने साथ चलने को कहा| "कहा जाना है" - अनु ने धीरज से पूछा| "अपने बच्चे को घर लाने" - धीरज ने जवाब दिया!! अनु एकदम चौंक कर बस धीरज को देखती रही जैसे जुबान से एक शब्द न निकल पा रहा हो!! बस आँखों ने ही कई सवाल पूछ लिए हो जैसे!! और धीरज की तसल्ली भरी मुस्कान उन सब सवालों का जवाब थी!! धीरज ने उसी मुस्कान से अनु का हाथ पकड़ा और जल्दी चलने को कहा|
अनु अनाथालय पहुंचते ही अब सब समझ पा रही थी| अनु की धड़कने तेज थी| धीरज ने सब formalities पूरी की| एक 4 साल के बच्चे को कमरे के दरवाजे पर ला कर खड़ा किया गया| उस बच्चे को भी संचालक की ओर से ये बताया गया कि अनु और धीरज ही अब उसके माँ-पापा है| वो 4 साल का मासूम बच्चा भी शायद अब तक ये ही सपना देखता होगा कि काश उसके भी माँ पापा हो, बस वो भागते हुए आया और माँ बोलते ही अनु से लिपट गया!! अनु ने बच्चे को कस के थामा|अनु आज माँ बनी थी| ये पल बस मह्सूस किया जा सकता था और अनु इसे महसूस कर रही थी| अनु का रोम रोम उस पल का गवाह था!! अनु की ख़ुशी आँखों से आंसू बन गिर रही थी, उस बच्चे की आँखों की चमक देखने लायक थी और ये ख़ास पल दूर खड़ा धीरज मोबाइल पर रिकॉर्ड करते हुए कब रो पड़ा उसे भी पता नहीं चला!!
आज एक नहीं, कई सपने साकार हुए थे - अनु के माँ बनने का सपना, उस मासूम बच्चे को माँ बाप मिलने का सपना और धीरज के खुशहाल परिवार का सपना.........|
दोस्तों, सपने तो हम सब देखते है, उन्हें साकार जरूर करे और साथ ही दुसरो के सपने भी साकार हो सके तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है भला........|
धन्यवाद |
7 Comments
Nice 👍
ReplyDelete����nice
ReplyDeleteWonderful
ReplyDeleteIt’s good dear
ReplyDeleteThank u all 🙏☺
ReplyDeleteGreat
ReplyDeleteGreat
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