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परिवार के साथ त्यौहार - मन की बात नेहा के साथ

बड़ी से बड़ी ख़ुशी अकेले में अधूरी सी हो जाती है और छोटी से छोटी बात भी परिवार संग ख़ास बन जाती है............ त्यौहार तो बहाना है, असली ख़ुशी तो परिवार के साथ वक़्त बिताना है.............। 





रश्मि अलमारी से अपना सामान समेटती हुई अपने बैग में रखती कुछ उदास सी लग रही थी !! मन बहुत बेचैन सा था । दरअसल रश्मि अपने पति दीपक और 4 साल के बेटे इवान के साथ कई दिनों से अपने ससुराल दिवाली का त्यौहार मनाने जो आयी थी, लेकिन आज वापिस जाने का दिन था !! रश्मि को वापिस जाने की पैकिंग करते मानो यकीन नहीं हो रहा था कि इतने दिन छुट्टियों के बीत भी गए.........!!


दीपक की जॉब दूसरे शहर में थी इसलिए रश्मि, दीपक और इवान घर से दूर दूसरे शहर ही रहते थे !! कभी कभी छुट्टियों में आना जाना लगा ही रहता था....। साल भर त्यौहार के लिए छुट्टियां इकट्ठी करना और त्यौहार साथ में मनाना और भी ख़ास हो जाता था !!


सामान रखते हुए रश्मि का दिल इतना भारी सा हुए जा रहा था, जैसे अभी रो ही पड़े पर खुद को समझाती रश्मि बहुत सम्भले हुए थी। ससुराल में भरा-पूरा परिवार था, दिन कब बीता, रात कब हुई पता ही नहीं चलता था !! सास-ससुर, भईया-भाभी (जेठ-जेठानी) और उनके दो बच्चो (निशु और कृष) के साथ समय हवा की तरह उड़ता सा लगता !! 


रश्मि का बेटा भी भाभी (जेठानी) के बच्चो के साथ खूब मस्ती, खेल-कूद में मस्त रहता !! ये 10 दिन की छुट्टिया मानो चुटकी बजाते बीत गयी थी !! रश्मि फैले हुए सामान को बैग में भरती, मन में यादों को संजो रही थी !! दिवाली के 10 दिन पहले से आयी रश्मि की भाभी (जेठानी) के साथ मिल कर घर की सफाइयां करने वाली यादें और फिर कभी दोनों का साथ में बाजार जाना तो कभी यूँ ही बैठ कर की गयी गप-शप.... रश्मि के लिए सब ख़ास था । 


यूँ तो हर बार की यादें बहुत ख़ास है पर इस बार ये त्यौहार वाली यादें और भी ख़ास थी !! आज वापसी का दिन था तो रश्मि का बेटा भी सुबह से अभी ना जाने के जिद्द में रोये जा रहा था !! सिर्फ रश्मि और इवान ही नहीं, बल्कि घर में सबके लिए ये साथ में बिताये पल ख़ास थे, इसलिए सबका मन उदास सा था !! 


अब जब पैकिंग भी पूरी हो चुकी थी, और सब सामान भी दीपक ने कार में ले जाने के लिए रख दिया था कि भाभी ने कुछ मिठाईया और सामान रश्मि को ले जाने के लिए दिया.... रश्मि के मना करने पर भी भाभी ने सामान बैग में रख ही दिया !! उधर इवान के दादा जी ने इवान के लिए ढेर सारे कपडे, खिलोने, चॉकलेट्स से भरा बैग दीपक को देते कार में रख लेने को कहा !!


निशु, कृष और इवान अभी भी खेल ही रहे थे कि रश्मि ने भारी मन से इवान को अब कार में बैठने के लिए कहा, कि इतने में निशु, कृष भी इवान को जाता देख रोने लगे !! अपने दीदी, भईया को यूँ रोते देख इवान फिर से नहीं जाने की जिद्द करने लगा और वो भी रोने लगा.....!! आंसू तो रश्मि के भी झलक उठे, और अपने आंसुओं को पोछती रश्मि इवान को समझाती हुई, सबको एक नजर प्यार से देखती कार में बैठ गयी.....!! आखिर जाना भी जरुरी था !!


रश्मि, दीपक और इवान वहां से चले तो आये पर साथ में परिवार संग बिताये खूबसूरत लम्हो की मिठास थी जो दिल में समायी थी......!!





सच्च, ये त्यौहार तो बहाना है, असली ख़ुशी तो परिवार के साथ वक़्त बिताना है..........।

परिवार से वापसी वाला एहसास तो आप में से भी बहुत लोगो ने महसूस किया होगा, आपको मेरी ये छोटी सी कहानी कैसी लगी मुझे कमेंट सेक्शन में जरूर बताये...... !!

mann-ki-baat-by-neha


Thank You...

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