Bulletprofit

औरत - मन की बात नेहा के साथ


कहते है एक सफल आदमी की पीछे एक औरत का साथ होता है, ये कहना भी गलत नहीं होगा कि असल में ये पूरी दुनिया ही ऐसे चल रही है !! एक औरत को समर्पण और त्याग के रूप में हमेशा से देखा जाता है| सही ही तो है, उसने खुद को समर्पित ही तो किया है घर में, बच्चो में !! उसके किये त्याग की तो कोई सीमा ही नहीं है !! उसका बड़े से बड़ा त्याग दुनिया को उजागर तो है ही, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी नजाने कितने ऐसे त्याग है उसके, जिसकी वो गिनती तक नहीं करती !! 

उन पीड़दायी त्याग को भी वो फ़र्ज़ और कर्त्तव्य रुपी चाशनी में डुबो मीठा कर देती है| सच्च कहो तो ऐसा करने में उसे दिल की ख़ुशी जो मिलती है| ऐसा दिल शायद एक औरत के पास ही है !! 

एक साथ नाजाने कितने कामो को कर लेने का हुनर, दर्द में भी मुस्कुरा देने का हुनर, एक ईट पत्थर के मकान को प्यारा सा घर बना देने का हुनर, सभी रिश्तो को संभाल के रखने का हुनर और दुसरो की ख़ुशी के लिए अपनी ख़ुशी को त्याग देने का हुनर !! और भी नजाने ऐसे कितने हुनर !! इसीलिए तो वो ख़ास है |

समय के साथ साथ कई शोंख पीछे छूट जाते है !! किसी का करियर छूट जाता है और कई अपने छूट जाते है !! आज के समय में महिलाये घर और करियर को बखूबी संभाल रही है, नजाने कितनी चुनौतियां आती होंगी रोज़ और वो हर दिन निभा रही है !! 

घर की बुनियाद जैसी है वो, नीव है, कमजोर नहीं पड़ सकती !! वो बीमार भी पड़ जाए तो भी कह नहीं पाती - क्यों कि अपनी जिम्मेदारी समझती है, किसी को भूखे पेट न सोना पड़े इसलिए आखिर जूट ही जाती है !! नहीं कह पाती कि "आराम चाहिए उसे" - क्यों कि उसके आराम से सबकी बेआरामी जो है !! नहीं कह पाती कि "आज नहीं उठ पाएगी वो" - क्यों कि वो रुकी तो पूरा घर रुक जाएगा !! 

                                 अक्सर दुसरो का ख्याल रखने में, अपने लिए लाहपरवाही कर जाती है !!

                                  दुसरो के लिए सब करके,बस अपने लिए ही करना भूल जाती है !!

खुद को नजाने कितना बदल देती है - कभी upto fashion रहने वाली, एक पल शीशा नहीं देखती !! नजाने कितने अरमानो को दबा देती है| ये तो उसका दिल है जो किसी के extra रोटी मांगने पर अपने हिस्से की रोटी भी हस्ते हुए परोस देती है !! शायद अपनी ख़ुशी भी वो इसी में समझती है !!

                                अक्सर मैंने औरतो को एक झूठ मंत्र बोलते देखा है 

                                तबीयत नरम हो फिर भी "हाँ ठीक हु" कहते देखा है 

                                बस इसी मंत्र के सहारे खुद को बहकाती है 

                                दर्द कितना भी हो पर अक्सर वो मुस्कुराती है 

                                पता हैं उसको वो यूँ थक कर रुक नहीं सकती 

                               रुक गयी तो घर की गाडी आगे बढ़ नहीं सकती !!



औरत के बिना एक घर की कल्पना भी नहीं की जा सकती !! ऐसे त्याग हर घर की औरत के है, हर माँ के है, हर पत्नी के है, हर भाभी के है, हर बहन के है, और हर बेटी के है !! उसके लिए सबसे बड़ा उपहार है उसका सम्मान करे| सभी को मेरा आदर भरा सम्मान |

follow me on instagram

धन्यवाद |

mannkibaat  mannkibaatbyneha  woman  womanpower  respectwoman 

                              

Post a Comment

11 Comments

हालातों की सीख़ - मन की बात नेहा के साथ