
हालातों की सीख़ - मन की बात नेहा के साथ
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाय…
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाये महसूस होना स्वाभाविक है लेकिन फिर उन्ही परिस्तिथियों से उभर क…
उम्मीद "दूसरे आप पर ऊँगली उठाये और प्रश्न करे, उससे बेहतर होता है अगर समय रहते हम स्वयं पर ऊँगली उठा स्वयं से प्रश्न कर सके तो......" - m…
कहानी के पहले भाग को पढ़ने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे............। इत्तेफ़ाक़ - मन की बात नेहा के साथ (part-1) आपने अब तक पढ़ा कि नूर अपनी मासी क…
इत्तेफ़ाक़ "कभी कभी कुछ पाने की चाहत में हज़ारो कोशिश कर लेने के बाद भी उसे हांसिल न कर पाना और कभी कभी बिना मांगे हमे उस चीज़ का मिल जाना, शायद य…
अबला नहीं सबला "दुसरो की उलझन को सुलझाने के लिए उन्हें समझाना तो कोई भी कर लेता है, पर मुश्किल तो अपने अंदर चल रही उलझनों के लिए खुद को समझा प…
परवरिश - मन की बात नेहा के साथ बचपन के सीखे हुए सबक और उन सबक से भरी यादों का कुछ ख़ास ही स्थान होता है, न तो वो सबक कभी भूले जाते है, न ही वो यादें…
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाय…
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