
हालातों की सीख़ - मन की बात नेहा के साथ
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाय…
उम्मीद "दूसरे आप पर ऊँगली उठाये और प्रश्न करे, उससे बेहतर होता है अगर समय रहते हम स्वयं पर ऊँगली उठा स्वयं से प्रश्न कर सके तो......" - m…
अबला नहीं सबला "दुसरो की उलझन को सुलझाने के लिए उन्हें समझाना तो कोई भी कर लेता है, पर मुश्किल तो अपने अंदर चल रही उलझनों के लिए खुद को समझा प…
पछतावा - मन की बात नेहा के साथ अगर खुद को सफल करना है तो खुद को इम्तिहान के लिए बुलंद भी करना होगा, होंसला और काबिलियत स्वयं के अंदर हो, तो उससे बड़…
कहानी के पहले भाग को विस्तार से पढ़ने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे....... अधूरी ख्वाइश - मन की बात नेहा के साथ (पार्ट- 1) अब तक आपने पढ़ा कि अंकित…
कुछ ख्वाहिशे दिल तो पूरी कर लेना चाहता है पर दिमाग कभी कभी मंजूरी नहीं देता, शायद इस कश्मकश में ही उलझ कर एक आह सी आंसू बन आँखों से गिर पड़ती है ....…
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाय…
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