
हालातों की सीख़ - मन की बात नेहा के साथ
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाय…
कुछ परिस्तिथिया अग्नि-परीक्षा जैसी होती है, जिन्हे पार करने की हिम्मत करनी ही पड़ती है..... कभी कभी बेहतर भविष्य कुछ अग्नि परीक्षाओं से हो कर गुजरता …
पछतावा - मन की बात नेहा के साथ अगर खुद को सफल करना है तो खुद को इम्तिहान के लिए बुलंद भी करना होगा, होंसला और काबिलियत स्वयं के अंदर हो, तो उससे बड़…
जो जैसा हमेशा से होते आया है उसे वैसे ही चलते रहने देना आसान है लेकिन मुश्किल और कठिनाई तो बदलाव को स्वीकारने में होती है और बदलाव के लिए एक पहल करना…
सच्चे रिश्तो को महंगे उपहार से नहीं बल्कि प्यार और अपनेपन से ही बाँधा जा सकता है.....!! रिश्तो को अपना समय देना सबसे बड़ी चीज़ है जो हर रिश्ते की एहम…
कहानी के पहले भाग को विस्तार से पढ़ने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे....... अधूरी ख्वाइश - मन की बात नेहा के साथ (पार्ट- 1) अब तक आपने पढ़ा कि अंकित…
कुछ ख्वाहिशे दिल तो पूरी कर लेना चाहता है पर दिमाग कभी कभी मंजूरी नहीं देता, शायद इस कश्मकश में ही उलझ कर एक आह सी आंसू बन आँखों से गिर पड़ती है ....…
बड़ी से बड़ी ख़ुशी अकेले में अधूरी सी हो जाती है और छोटी से छोटी बात भी परिवार संग ख़ास बन जाती है............ त्यौहार तो बहाना है, असली ख़ुशी तो परिवार क…
ज़िंदगी मुस्कुरा ही पड़ी कई बार हालात को हारता देख हम भी हारने लगते है...... और आगे के हालात सुधारने की हिम्मत भी नहीं दिखा पाते...!! परन्तु ज़िंदगी का …
कहानी का पहला भाग विस्तार में पढ़ने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे....... Strong Mother - A Journey (part-1) अब तक आपने पढ़ा कि सुरभी एक सिंगल पैरें…
बोझ - मन की बात नेहा के साथ कोई बहाना बना कर अपनी जिम्मेदारियां दुसरो पर डाल देना शायद बहुत आसान है........ पर खुद की अंतर-आत्मा को इसके लिए जवाब द…
दिवाली - दिल वाली चाहे उत्सव कोई भी हो, शादी का हो या जन्मदिन का या फिर कोई त्यौहार का, जुड़ा होता है अपनों के साथ से, दोस्तों से और रसोई में पकते कई…
बस अब और परवाह नहीं - मन की बात नेहा के साथ (part-2) कहानी के पहले भाग को को विस्तार में पढ़ने के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करे........ बस अब और परवा…
बस अब और परवाह नहीं - मन की बात नेहा के साथ ये समाज, समाज के लोग, ओर लोगो के बनाये बहुत से दायरे.......... कभी कभी सही भी है लेकिन, बहुत सी परिस्तिथ…
"जब परिस्तिथिया हमारे अनुकूल नहीं होती तो यक़ीनन कुछ पलों के लिए कमजोर या असहाय…
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